जूनागढ़ में अवैध दरगाह को हटाने को लेकर पुलिस ने की जांच, भीड़ ने करा हमला और फूंकी गाड़ियां

KNEWS DESK-  जूनागढ़ के मजेवाड़ी इलाके में अवैध दरगाह को हटाने के नोटिस के बाद पहुंची पुलिस पर हिंसक भीड़ ने हमला बोल दिया। हमले में भीड़ ने पथराव करना शुरू कर दिया था। मामला इतना बढ़ गया था की पथराव के बाद भीड़ ने निजी और पुलिस की गाड़ियों पर भी आग लगा दी गई थी। इस हिंसक झड़प के बाद 1 व्यक्ति की मौत हो गई और डीएसपी समेत 5 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। पुलिस ने भीड़ को काबू करने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले भी दागे। इलाके में मामले को लेकर भारी तनाव देखने को मिला है। इस घटना में 500-600 प्रदर्शनकारियों में से कम से कम 174 लोगों को पथराव करने और अराजकता फैलाने के आरोप में हिरासत में लिया गया है।

अधिकारिओं ने बताया है कि 14 जून को जूनागढ़ म्युनिसिपल कारपोरेशन ने मजेवाड़ी दरगह के प्रशासन को नोटिस भेजते हुए जमीन के मालिकाना हक से जुड़े कानूनी दस्तावेज 5 दिनों के भीतर पेश करने को कहा था, जिसके बाद आक्रोशित लोग दरगह के पास जमा होकर सड़कों को जाम करने लगे।

एसपी रवि तेजा वसामसेट्टी ने बताया कि पुलिस ने भीड़ को अवरोध हटाने के लिए समझाने की कोशिश की लेकिन इसके बजाये प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर हमला किया और उन पर पथराव किया और गाडियों को भी आग लगा दी।

जहां पुलिस एक तरफ दरगाह को अवैध होने का दावा कर कही है, वहीं दूसरी ओर अशफ़ाक़, दूसरा शहर आधारित वकील, का कहना है कि यह दरगाह 150 से 200 साल पुरानी है जिसका रिकॉर्ड शहर के सर्वे रजिस्टर में किया गया है। उनके मुताबिक़ पुलिस ने नोटिस को 16 जून को लगाया था जिसमें डेट 14 जून छप्पी हुई थी। उन्होंने यह भी कहा की पुलिस ने ऊपकारकोट किला क्षेत्र में स्थित एक दूसरे दरगाह को भी गलत डेट के साथ एक नोटिस जारी किया है। इस बीच एक मुस्लिम वकील ने पुलिस पर, हमेशा से सद्भाव रहने वाले इस शहर में ‘सांप्रदायिक तनाव’ पैदा करने की कोशिश हरने का अपराध लगाया था।

इसके जवाब में जूनागढ़ मुनिसिपर कमिश्नर , राजैश तन्ना ने कहा की यह कोई नोटिस नहीं बल्कि अतिक्रमण अभियान है। इसका किसी भी विशिष्ट धर्म से कोई सम्बन्ध नहीं है। उन्होंने ये भी बताया की जूनागढ़ म्युनिसिपल कारपोरेशन ने 7-8 अन्य धार्मिक संरचनाओं के बारे में ऐसी पूछताछ जारी की थी जिसमे 3-4 मंदिर भी थें।

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