फिर मुश्किल में किसान ?

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट , देवभूमि उत्तराखंड में किसान और मजदूर के मुद्दे पर सियासत गरमा गई है। दअरसल उत्तराखंड में यूरिया खाद की कमी होने से किसानों को काफी परेशानी हो रही है। बिना खाद के किसानों को काफी परेशानी हो रही है। आलम ये है कि लक्सर गन्ना समिति पर आया यूरिया खाद पहले दिन ही 8 घंटे में ही खत्म हो गया। लक्सर गन्ना समिति के 50 हजार सदस्यों में से महज तीन हजार किसानों को ही खाद मिला है। वहीं समिति से जुड़े 47000 से ज्यादा किसान अभी भी यूरिया खाद का इंतजार कर रहे हैं। वहीं एक तरफ जहां किसान यूरिया खाद के लिए परेशान हैं.. तो वहीं दूसरी ओर ईंट भट्ठा मजदूरों ने मजदूरी बढ़ाने को आंदोलन शुरू कर दिया है। ईंट भट्टों पर काम करने वाले मजदूरों का कहना है कि सरकार ने वर्ष 2019 में निकासी के रेट 206 रुपये घोषित किए थे। बावजूद इसके उन्हें 150 रुपये प्रति हजार रुपये रेट दिया जा रहा है। सवाल ये है कि एक और जहां केंद्र सरकार किसानों की आय को दोगुना करने का दावा कर रही है तो वहीं दूसरी ओर यूरिया खाद के लिए ही किसानों को परेशानी हो रही है ऐसे में सवाल ये है कि क्या सरकार किसानों की समस्याओँ पर ध्यान नहीं दे रही है। आखिर ऐसी परिस्थिति में कैसे किसानों की आय को दोगुना किया जाएगा जब किसानों को खाद ही नहीं मिलेगी

किसानों की आय को दोगुना करने का दावा कर रही सरकार के सामने बड़ी चुनौती आ गई है। दअरसल उत्तराखंड में यूरिया खाद की बेहद कमी देखने को मिल रही है। जिससे किसानों को काफी परेशानी हो रही है बिना खाद के किसान बुआई नहीं कर पा रहे हैं। यूरिया की कमी का आलम ये है कि लक्सर गन्ना समिति पर आया यूरिया खाद पहले दिन ही महज 8 घंटे में ही खत्म हो गया। लक्सर गन्ना समिति के 50 हजार सदस्यों में से महज तीन हजार किसानों को ही खाद मिला है। वहीं समिति से जुड़े हजारों किसान अभी भी यूरिया खाद का इंतजार कर रहे हैं। वहीं एक तरफ जहां किसान यूरिया खाद के लिए परेशान हैं.. तो वहीं दूसरी ओर ईंट भट्ठा मजदूरों ने मजदूरी बढ़ाने को आंदोलन शुरू कर दिया है। ईंट भट्टों पर काम करने वाले मजदूरों का कहना है कि सरकार ने वर्ष 2019 में निकासी के रेट 206 रुपये घोषित किए थे। बावजूद इसके उन्हें 150 रुपये प्रति हजार रुपये रेट दिया जा रहा है।

 

वहीं राज्य में किसानों और मजदूरों के मुद्दे पर सियासत गरमा गई है। एक तरफ जहां सत्ताधारी दल किसानों के हित में किए गये कार्यों को गिना रहा है साथ ही विपक्ष से भी हिसाब मांग रहा है। जबकि विपक्ष का आरोप है कि मोदी सरकार का ध्यान सिर्फ चुनाव जीतने में है। गरीब, किसान, मजदूरों की समस्याओँ के समाधान पर सरकार का ध्यान नहीं है जिसकी वजह से हर एक वर्ग को काफी परेशानी मोदी सरकार के राज में हो रही है

 

कुल मिलाकर देश के साथ ही उत्तराखंड में किसानों और मजदूरों के मुद्दे पर सिसायत गरमा गई है। सवाल ये है कि एक और जहां केंद्र सरकार किसानों की आय को दोगुना करने का दावा कर रही है तो वहीं दूसरी ओर यूरिया खाद के लिए ही किसानों को परेशानी होना पड़ रहा है ऐसे में सवाल ये है कि क्या सरकार किसानों की समस्याओँ पर ध्यान नहीं दे रही है। आखिर ऐसी परिस्थिति में कैसे किसानों की आय को दोगुना किया जाएगा जब किसानों को खाद ही नहीं मिलेगी देखना होगा आखिर कबतक किसानों और मजदूरों की समस्याओँ का समाधान होता है

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