मूलभूत सुविधाओं से वंचित कारीमाटी के लोग गंदा पानी पीने को हैं मजबूर,जनप्रतिनिधि सत्ता पाते ही भूल जाते गांव का रास्ता

रिपोर्ट – महेश प्रसाद 

छत्तीसगढ़ – मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जिला मुख्यालय से करीब 160 किलोमीटर वनांचल क्षेत्र भरतपुर जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत उमरवाह का आश्रित ग्राम कारीमाटी जंगलों से घिरा हुआ है। करोड़ों रुपयों के विकास कार्यों का दावा करने वाली सरकारें आज भी अपने क्षेत्रों का विकास नहीं कर पाई है। यहां आज भी लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित है।

गन्दे पानी से करना पड़ रहा लोगों को गुजारा

आपको बता दें की ग्राम पंचायत उमरवाह के आश्रित ग्राम कारीमाटी के लोगो को स्वच्छ साफ पानी तक नही मिल पा रहा है। यहां के निवासी आज भी गंदा और दूषित पानी पीने को मजबूर है और इसी गन्दे पानी से लोगों को गुजारा करना पड़ रहा है। यहाँ कुछ क्षेत्र ऐसा भी है जहां गंदा पानी तक नहीं पहुंच पाता है। लोग पानी के लिए तरस रहे हैं। कारीमाटी जिसकी बात कोई नहीं करता। आज भी वहां के लोग नाले का पानी पीने को मजबूर है।

स्वच्छ जल के लिए लोग तरस रहें

आलम यह है की बच्चे बूढ़े नाले के पानी में गुजर बसर करने को मजबूर हैं। बड़ी बड़ी बातें करने वाले विधायक यह भूल गए है की जीवन जीने के लिये यहाँ के लोगों को साफ पानी की जरूरत है। ये भरतपुर नगर पंचायत का ही एक हिस्सा है जो आज मूलभूत की सुविधाओं से कोसों दूर है। एमसीबी विधानसभा की बात करें तो आज भी गांव गांव में जाकर देखिए स्वच्छ जल के लिए लोग तरस रहें है। आज केवल विकास के नाम पर जनता को ठगा गया है। आज भी लोग अपने आवास, स्वच्छ पानी के लिए तरस रहें हैं | यहां चार पहिया वाहन नहीं जा सकता है, यहाँ सिर्फ बाईक से ही पहुंचा जा सकता है, यहां कुल 37 परिवार है जिन्हें राशन कार्ड दिया गया है।

जनप्रतिनिधि सत्ता पाते ही गांव का रास्ता भूल जाते है

भरतपुर के तहसील मुख्यालय जनकपुर से कारीमाटी की दूरी 26 किमी है। गांव में आदिवासी परिवारों की बाहुल्यता है जिसके कारण गांव में विकास सुचारू रूप से नहीं हो पाता, जिसका खामियाजा ग्रामीणों को जिन्दगी भर भुगतना पड़ता है। वनांचल क्षेत्र में सिर्फ अपनी कुर्सी के लिए पांच वर्ष में नेताओं का आना-जाना होता है। ये जनप्रतिनिधि सत्ता पाते ही गांव का रास्ता भूल जाते है। अब देखने की बात यह है की पानी के इस संकट से जूझ रहे लोगों की समस्याओं का समाधान कब होगा या फिर नदी का ही गंदा पानी पीना उनकी नियति होगी।

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