यमुना बाढ़ क्षेत्र में सख्ती, दिल्ली हाईकोर्ट ने कब्रिस्तान के नाम पर निर्माण पर लगाई रोक, बाड़ लगाने का दिया आदेश

डिजिटल डेस्क- दिल्ली हाईकोर्ट ने यमुना बाढ़ क्षेत्र को लेकर एक अहम और सख्त फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साफ कहा है कि बाढ़ क्षेत्र में कब्रिस्तान के बहाने या किसी भी अन्य उद्देश्य से घर, मकान या शेड बनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इसके साथ ही नौ गजा पीर दरगाह (Nau Gaza Peer Dargah) के पास किसी भी तरह के नए निर्माण पर तत्काल रोक लगा दी गई है और इलाके में बाड़ लगाने के निर्देश दिए गए हैं। जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने यमुना नदी तट पर दरगाह और उससे सटे कब्रिस्तान के पास कथित अवैध निर्माण को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह अंतरिम आदेश पारित किया। कोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) और भूमि एवं विकास कार्यालय (L&DO) को एक सप्ताह के भीतर कब्रिस्तान क्षेत्र की बाड़ लगाने का निर्देश दिया, ताकि भविष्य में किसी भी तरह का अतिक्रमण रोका जा सके।

“मुद्दा बेहद गंभीर है” – हाईकोर्ट

22 दिसंबर को दिए आदेश में कोर्ट ने कहा, “मुद्दा गंभीर है क्योंकि बाढ़ क्षेत्र में लोगों को कब्रिस्तान के बहाने या किसी अन्य मकसद से अपने घर, मकान या शेड बनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।” याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि नौ गजा पीर दरगाह से सटी जमीन का लगातार इस्तेमाल किया जा रहा था और वहां 100 से अधिक परिवार रह रहे थे। इस पर कोर्ट ने चिंता जताते हुए कहा कि यमुना बाढ़ क्षेत्र में इस तरह का स्थायी निवास पर्यावरण और कानून, दोनों के लिहाज से खतरनाक है।

तस्वीरों ने खोली अवैध निर्माण की पोल

दरगाह की देखभाल करने वाले की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि यह जमीन कब्रिस्तान के लिए आवंटित थी। उन्होंने मस्जिद और कब्रिस्तान से जुड़ी कुछ तस्वीरें भी कोर्ट के सामने रखीं। इन तस्वीरों को देखने के बाद बेंच ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, “कोर्ट ने जो तस्वीरें देखी हैं, वे काफी परेशान करने वाली स्थिति दिखाती हैं। बड़े-बड़े पेड़ उखाड़ दिए गए हैं और इससे साफ जाहिर होता है कि जमीन पर लगातार निर्माण कार्य कराया गया है।” हाईकोर्ट ने DDA और L&DO को आदेश दिया कि वे एक हफ्ते के भीतर बाड़ लगाने की प्रक्रिया पूरी करें और उसकी तस्वीरें अगली सुनवाई तक कोर्ट में पेश करें। इसके साथ ही दोनों एजेंसियों को सभी रिकॉर्ड की जांच कर जमीन की मौजूदा स्थिति पर संयुक्त रूप से हलफनामा दाखिल करने के भी निर्देश दिए गए हैं।

10 जनवरी तक सामान हटाने का समय

कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि नौ गजा पीर दरगाह से सटी जमीन पर दरगाह के देखरेख करने वाले व्यक्ति समेत किसी को भी रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी। वहां मौजूद सभी कब्जेदारों को 10 जनवरी तक अपना सामान हटाने की छूट दी गई है। कोर्ट ने यह भी साफ किया कि यदि किसी शव को दफनाया जाना है, तो वह केवल बाड़े वाले निर्धारित क्षेत्र के भीतर ही किया जाएगा। दफनाने के बाद किसी भी व्यक्ति को वहां रुकने या ठहरने की इजाजत नहीं होगी। यह व्यवस्था अगली सुनवाई तक लागू रहेगी। मामले की अगली सुनवाई 27 जनवरी को होगी। हाईकोर्ट का यह आदेश यमुना बाढ़ क्षेत्र में अवैध निर्माण और अतिक्रमण के खिलाफ एक कड़ा संदेश माना जा रहा है।

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