सालों की मेहनत हजारों मजदूरों की कारीगरी करोड़ों की लागत लालच और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी
नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी और सुपरटेक कंपनी के मालिक आलो की मिलीभगत से हजारों परिवार हुए बेघर
बिल्डर के सपनों को चंद सेकंड ने धराशाई तो कर दिया गया क्या भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों पर भी होगी कार्रवाई ?
लंबी लड़ाई के बाद आखिरकर आवंटियों के साथ-साथ सरकार प्रशासन ने ली राहत की सांस
करोड़ों की लागत चंद मिनट में धराशाई हुई बिल्डिंग का मलवा हटाने में लगेगा 3 महीने का समय
नोएडा की विवादित ट्विन टावर बिल्डिंग आखिरकार अब इतिहास के पन्नों में ही देखा सुना और पढ़ा जाएगा। निर्धारित समय दोपहर के ठीक 2:30 बजे एक बॉक्स के बटन पर हाथ रखते ही चंद सेकंड में दो टावर एक 32 मंजिला और एक 30 मंजिला ध्वस्त हो गया। सरकार शासन और प्रशासन के साथ-साथ नोएडा आसपास के रहने वालों ने भी ली राहत की सांस। लेकिन अभी भी समस्या बरकरार रहेगी कुछ दिनों तक, नोएडा के विवादित ट्विन टावर के ध्वस्त होने के बाद मलबे को हटाने में करीब 3 महीने का वक्त लगेगा तब तक वहां आसपास रहने वाले लोगों को लिए परेशानी बनी रहेगी हालांकि विवादित टावर के ध्वस्त होने के बाद किसी भी तरह की कोई अनहोनी की घटना की सूचना नहीं है प्लानिंग के हिसाब से जैसा योजना बनी थी उसी तरह ठीक 2:30 बजे ट्विन टावर ध्वस्त हुआ हालांकि उम्मीद से ज्यादा प्रदूषण ध्वस्त होने के बाद देखने को मिला।
साल 2004 में 23 नवंबर को नोएडा प्राधिकरण ने सेक्टर 93ए में ग्रुप हाउसिंग का प्लॉट नंबर 4 एमराल्ड कोर्ट को देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से महज कुछ दूरी पर तन कर खड़ी एक गगनचुंबी इमारत पिछले कुछ दिनों से सुर्खियों में है। 32 मंजिला यह इमारत अपनी ऊंचाई के लिए देशभर में विख्यात कुतुबमीनार को भी इस मामले में पीछे छोड़ दिया है। नोएडा के सेक्टर 93ए में स्थित यह इमारत सुपरटेक ट्विन टॉवर के नाम से अब मशहूर हो गया है। इसमें एपेक्स और सियान के नाम के दो टॉवर है। एपेक्स 32 मंजिला और सियान 29 मंजिला इमारत है। दोनों को नियमों को ताक पर रख कर बनाया गया था।
नोएडा विकास प्राधिकारण के अधिकारियों के भ्रष्टाचार का जीता जागता उदाहरण बने इस इमारत को गिराने के लिए एमराल्ड कोर्ट के बायर्स को अपने खर्चे पर लंबी और थका देने वाली कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। तब जाकर फैसला उनके पक्ष में आया। दिग्गज रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक के खिलाफ उन्होंने साल 2012 में इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। 2021 में सुप्रीम कोर्ट में आकर इस कानूनी लड़ाई का पटाक्षेप हुआ। तो आइए एक दशक पुराने इस विवाद की क्या है कहानी इस पर एक नजर डालते हैं ।
ट्विन टॉवर की पूरी कहानी
साल 2004 में 23 नवंबर को नोएडा प्राधिकरण ने सेक्टर 93ए में ग्रुप हाउसिंग का प्लॉट नंबर 4 एमराल्ड कोर्ट को आवंटित किया। इस प्रोजेक्ट के तहत प्राधिकरण ने ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी को 14 टॉवर का नक्शा आवंटित किया जिसमें सभी टॉवर ग्राउंड फ्लोर के साथ 9 मंजिल तक पास किए गए। इसके बाद 29 दिसंबर 2006 को प्राधिकरण ने ग्रुप हाउसिंग हाइसिंग प्रोजेक्ट में पहला संसोधन करते हुए दो मंजिल और बनाने का नक्शा पास किया। जिसके तहत 14 टावर मिलाकर ग्राउंड फ्लोर के अलावा 9 मंजिल की जगह 11 मंजिल बनाने का नक्शा पास हो गया। इसके बाद टॉवर 15 और फिर टॉवर 16 का भी नक्शा पास किया गया।
26 नवंबर 2009 को नोएडा प्राधिकरण ने फिर से 17 टॉवर बनाने का नक्शा पास कर दिया। इसके बाद प्राधिकरण ने 2 मार्च 2012 को संशोधन करते हुए टॉवर नंबर 16 और 17 के लिए एफएआर और बढ़ा दिया। इससे दोनों टॉवर को 40 मंजिल तक करने की अनुमति मिल गई और इसकी ऊंचाई 121 मीटर तय की गई।
विवाद की शुरूआत
एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के बायर्स ने टॉवर नंबर 16 और 17 जिसे आज ट्विन टॉवर कहा जा रहा है, कि ऊंचाई बढ़ाने का विरोध करना शुरू कर दिया। रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA ) ने बिल्डर से बात कर नक्शा दिखाने की मांग की। लेकिन बिल्डर ने लोगों को नक्शा नहीं दिखाया। RWA के अध्यक्ष उदयभान सिंह के मुताबिक, जहां पर टॉवर नंबर 16 और 17 बनाए गए हैं, वहां पर बिल्डर ने जब लोगों को फ्लैट दिया था तो उसे ओपन स्पेस दिखाया था। इसके साथ ही यहां पर एक छोटी इमारत बनाने का भी प्रावधान किया गया था।
विवाद की एक वजह दो आवसीय टॉवरों के बीच की दूरी को लेकर भी है। दरअसल नेशनल बिल्डिंग कोड का नियम है कि किसी भी दो आवासीय टॉवर के बीच में कम से कम 16 मीटर की दूरी होनी चाहिए मगर इस प्रोजेक्ट में टॉवर नंबर 1 और ट्विन टॉवर के बीच 9 मीटर से भी कम दूरी है। RWA और फ्लैट बायर्स द्वारा आपत्ति दर्ज कराने के बावजूद धड़ल्ले से ट्विन टॉवर का अवैध निर्माण जारी रहा।
अदालत पहुंचा मामला
नोएडा प्राधिकारण के उदासीनता से नाराज फ्लैट बायर्स ने साल 2012 में इलाहाबाद हाईकोर्ट का रूख किया। अदालत ने पुलिस को जांच के आदेश दिए और जांच में पुलिस ने आरोपों को सही भी पाया। लेकिन इस जांच रिपोर्ट को दबा दिया गया। प्राधिकरण ने महज खानापूर्ति के लिए बिल्डर को नोटिस भेजा लेकिन बायर्स को कभी नक्शा नहीं मिला। इसके उलट ट्विन टॉवर का निर्माण कार्य और तेज हो गया। साल 2012 में जब मामला हाईकोर्ट पहुंचा था, तब महज 13 मंजिलें बनी थीं मगर डेढ़ साल के अंदर सुपरटेक ने 32 फ्लोर का निर्माण पूरा कर लिया।
इस बीच अदालत में सुनवाई चलती रही। दिग्गज रियल एस्टेट कंपनी की तरफ से नामी वकील पैरवी के लिए आते रहे लेकिन अंततः साल 2014 में फैसला बायर्स के पक्ष में ही आया। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बिल्डर को नियमों का उल्लंघन करने का दोषी मानते हुए ट्विन टॉवर को अवैध घोषित कर जमींदोज करने का आदेश जारी कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट की कठोर टिप्पणी
हाईकोर्ट से झटका मिलने के बाद सुपरटेक इस फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। लेकिन यहां भी उसे मुंह की खानी पड़ी। शीर्ष अदालत ने 31 अगस्त 2021 को तीन महीने के भीतर ट्विन टॉवर को गिराने का आदेश दिया। हालांकि बाद में इसकी तारीख को बढ़ाकर 28 अगस्त 2022 कर दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला सुनाते हुए नोएडा प्राधिकारण के सीनियर अधिकारियों पर कठोर टिप्पणी की थी। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने यहां तक कह दिया था कि नोएडा प्राधिकारण एक भ्रष्ट निकाय है। इसके आंख, कान, नाक और यहां तक की चेहरे से भ्रष्टाचार टपकता है।
योगी सरकार ने बनाई थी जांच समिति
पिछले साल इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश का आदेश आने के बाद योगी सरकार ने औद्योगिक विकास आयुक्त के नेतृत्व में 4 सदस्यों की समिति बनाई थी। समिति की रिपोर्ट के आधार पर अवैध निर्माण में शामिल 26 अधिकारियों, कर्मचारियों, सुपरटेक लिमिटेड के निदेशक और उनके आर्किटेक्ट के विरूद्ध कार्रवाई की गई।
बता दें कि ट्विन टॉवर को अब से महज कुछ ही देर बाद 3700 किलोग्राम बारूद की मदद से जमींदोज कर दिया जाएगा। इसी के साथ यह रियल एस्टेट में भ्रष्टाचार करने वालों के लिए एक बड़ा नजीर भी साबित होगा।
नोएडा प्राधिकरण ने जारी की एडवाइजरी.
बच्चों-बुजुर्गों को 2:30 बजे से कुछ घंटों तक मास्क पहनने की दी गई सलाह.
नोएडा ट्विन टॉवर्स के भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों की सूची.
●1-मोहिंदर सिंह /CEO नोएडा (रिटायर्ड)
●2-एस.के.द्विवेदी /CEO,नोएडा (रिटायर्ड)
●3-आर.पी.अरोड़ा/अपर CEO,नोएडा (रिटायर्ड)
●4-यशपाल सिंह/विशेष कार्याधिकारी (रिटायर्ड)
●5- स्व. मैराजुद्दीन/प्लानिंग असिस्टेंट (रिटायर्ड)
●6-ऋतुराज व्यास/ सहयुक्त नगर नियोजक(वर्तमान में यमुना प्राधिकरण में प्रभारी महाप्रबंधक)
●7-एस.के.मिश्रा /नगर नियोजक (रिटायर्ड)
●8-राजपाल कौशिक/वरिष्ठ नगर नियोजक (रिटायर्ड)
●9-त्रिभुवन सिंह/मुख्य वास्तुविद नियोजक (रिटायर्ड)
●10-शैलेंद्र कैरे/उपमहाप्रबन्धक,ग्रुप हाउसिंग (रिटायर्ड)
●11-बाबूराम/परियोजना अभियंता (रिटायर्ड)
●12-टी.एन.पटेल/प्लानिंग असिस्टेंट (सेवानिवृत्त)
●13-वी.ए.देवपुजारी/मुख्य वास्तुविद नियोजक (सेवानिवृत्त)
●14-श्रीमती अनीता/प्लानिंग असिस्टेंट (वर्तमान में उ.प्र.राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण)
●15- एन.के. कपूर /एसोसिएट आर्किटेक्ट (सेवानिवृत्त)
●16-मुकेश गोयल/नियोजन सहायक (वर्तमान में प्रबंधक नियोजक के पद पर गीडा में कार्यरत)
●17-प्रवीण श्रीवास्तव/सहायक वास्तुविद (सेवानिवृत्त)
●18-ज्ञानचंद/विधि अधिकारी (सेवानिवृत्त)
●19-राजेश कुमार /विधि सलाहकार (सेवानिवृत्त)
●20- स्व. डी.पी. भारद्वाज/प्लानिंग असिस्टेंट
●21-श्रीमती विमला सिंह/ सहयुक्त नगर नियोजक
●22-विपिन गौड़/महाप्रबंधक (सेवानिवृत्त)
●23-एम.सी.त्यागी/परियोजना अभियंता (सेवानिवृत्त)
●24-के.के.पांडेय/ मुख्य परियोजना अभियंता
●25-पी.एन.बाथम/ अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी
●26-ए.सी सिंह/वित्त नियंत्रक (सेवानिवृत्त)
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●मै.सुपरटेक लिमिटेड के निदेशक तथा आर्किटेक्ट की सूची निम्नवत
1-आर.के.अरोड़ा-निदेशक
2-संगीता अरोड़ा-निदेशक
3-अनिल शर्मा-निदेशक
4-विकास कंसल-निदेशक
●Deepak Mehta & Associates Architect, Planners,Valuers, Landscape & Interiors – Deepak Mehta (Architect)
●MODARCH ARCHITECT Interior Designer & Planner – *NAVDEEP (Architect)
ऊपर उन्हीं लोगों का नाम है जो नोएडा प्राधिकरण के पूर्व अधिकारी हैं और सुपर टेक कंपनी के साथ भ्रष्टाचार में पूरी तरह से लिप्त थे
सुपरटेक कंपनी पर भ्रष्टाचार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बुलडोजर तो चल गया क्या उन अधिकारियों पर भी बुलडोजर चलेगा जो सुपरटेक के साथ इस भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए हैं।
ट्विन टावर ध्वस्त होने से पहले सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट किया अधिकारियों को अलर्ट किया उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य बृजेश पाठक सहित अपर मुख्य सचिव गृह सूबे के डीजीपी सहित सभी ने ट्वीट कर या स्थलीय निरीक्षण कर या फिर दूरसंचार के माध्यम से नोएडा लगातार संपर्क में रहे ध्वस्त होने के बाद सभी ने ली राहत की सांस।
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लखनऊ
एसीएस होम अवनीश अवस्थी का बयान-
भ्रष्टाचार पर एक्शन जारी रहेगा- ACS
पहली बार इतना बड़ा निर्माण गिराया गया-ACS
सरकार ने कोर्ट के आदेश का पालन किया-ACS
दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी-ACS
नोएडा में भ्रष्टाचार की इमारत जमींदोज-ACS