एक गांव ऐसा सड़क के लिए जंगल में आमरण अनशन जारी !

Knews Desk, पहाड़ के विकास के लिए सरकार भले लाख दावे करे लेकिन धरातल पर ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाओँ के लिए आज भी संघर्ष करना पड़ रहा है। आलम ये है कि डबल इंजन के नाम पर विकास का दावा करने वाली बीजेपी सरकार के राज में भी ग्रामीणों को सड़क के लिए आंदोलन करना पड़ रहा है। आपको बता दें कि उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण और थराली प्रखंड़ की सीमा विनायकधार में सड़क के लिए ग्रामीणों का संघर्ष चल रहा है। चार सूत्रीय मांगों को लेकर ग्रामीणों का आंदोलन और अनशन 13वें दिन भी जारी रहा। ग्रामीणों का कहना है कि उनकी मुख्य मांग बीएमबी मोटर मार्ग को कस्बीनगर (थराली) से जोड़ा जाए। पांच किलोमीटर सडक मार्ग बन जाने के बाद ग्रामीणों को थराली,बागेश्वर, गरुड़ जाने में लगभग 150 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय नही करनी पडेगी। और क्षेत्र का विकास भी तेज गति से होगा। वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों का कहना है कि गाँव में सडक ना होने से पूरा गांव खाली हो गया है. बचे हुए ग्रामीण भी सड़क के अभाव में गांव छोडने को मजबूर होंगे.. वहीं ग्रामीणों की मांगों की अंदेखी से नाराज आंदोलनकारियों ने गाँव से करीब 14 किलोमीटर दूर जंगल में अपना डेरा जमा लिया है। जहां बर्फबारी होने के बाद ठंड के प्रकोप है साथ ही जंगली जानवरों का भी डर हैं। जंगल में दो आंदोलनकारी मांगे पूरी ना होने तक आंदोलन को जारी रखने की चेतावनी दे रहे है। जिससे प्रशासन की चिंता बढ़ गई है। वहीं प्रशासन की टीम ने उन्हें मनाने की और जबरन उठाने की भी कोशिश की लेकिन विरोध के चलते प्रशासन की टीम बैरंग ही लौट गई। वहीं दो आंदोलनकारियों की ओर से शुरू हुए इस आंदोलन को अब कई गांव के ग्रामीणों का भी समर्थन मिल गया है। जिससे ग्रामीण अब एकजुटता के साथ शासन से मांगों को पूरा कराने तक आंदोलन को जारी रखने का दावा कर रहे हैं। ऐसे में सरकार की टेंशन बढ़ गई है। लोकसभा चुनाव में डबल इंजन की रफ्तार से विकास का दावा करने वाली सरकार के राज में सड़क के लिए आंदोलन करने पर विपक्षी दलों ने बीजेपी पर निशाना साधा है सवाल ये है कि आखिर क्यों सरकार ग्रामीणों की मांगों की अंदेखी कर रही है

उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव से पहले सरकार की टेंशन ग्रामीणों के आंदोलन ने बढ़ा दी है। दअरसल उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण और थराली प्रखंड़ की सीमा विनायकधार में सड़क के लिए ग्रामीणों का संघर्ष चल रहा है। चार सूत्रीय मांगों को लेकर ग्रामीणों का आंदोलन और अनशन 13वें दिन भी जारी रहा। ग्रामीणों का कहना है कि उनकी मुख्य मांग बीएमबी मोटर मार्ग को कस्बीनगर (थराली) से जोड़ा जाए। पांच किलोमीटर सडक मार्ग बन जाने के बाद ग्रामीणों को थराली,बागेश्वर, गरुड़ जाने में लगभग 150 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय नही करनी पडेगी। और क्षेत्र का विकास भी तेज गति से होगा। वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों का कहना है कि गाँव में सडक ना होने से पूरा गांव खाली हो गया है. बचे हुए ग्रामीण भी सड़क के अभाव में गांव छोडने को मजबूर होंगे.. वहीं ग्रामीणों की मांगों की अंदेखी से नाराज आंदोलनकारियों ने गाँव से करीब 14 किलोमीटर दूर जंगल में अपना डेरा जमा लिया है। जहां बर्फबारी होने के बाद ठंड के प्रकोप है साथ ही जंगली जानवरों का भी डर हैं। जंगल में दो आंदोलनकारी मांगे पूरी ना होने तक आंदोलन को जारी रखने की चेतावनी दे रहे है।

 

आपको बता दें कि सड़क को लेकर शुरू हुए इस आंदोलन से शासन-प्रशासन की चिंता बढ़ गई है। वहीं प्रशासन की टीम ने आंदोलनकारियों को मनाने की और जबरन उठाने की भी कोशिश की.. लेकिन विरोध के चलते प्रशासन की टीम बैरंग ही लौट गई। वहीं दो आंदोलनकारियों की ओर से शुरू हुए इस आंदोलन को अब कई गांव के ग्रामीणों का भी समर्थन मिल गया है। जिससे ग्रामीण अब एकजुटता के साथ शासन से मांगों को पूरा कराने तक आंदोलन को जारी रखने का दावा कर रहे हैं। ऐसे में सरकार की टेंशन बढ़ गई है। लोकसभा चुनाव में डबल इंजन की रफ्तार से विकास का दावा करने वाली सरकार के राज में सड़क के लिए आंदोलन करने पर विपक्षी दलों ने बीजेपी पर निशाना साधा है

कुल मिलाकर उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव से पहले सरकार की टेंशन ग्रामीणों के आंदोलन ने बढ़ा दी है। राज्य गठन के 23 साल बाद भी पहाड की जनता को सड़क के लिए आंदोलन करना पड़ रहा है जो कि चिंता की बात है ऐसे में सवाल ये है कि आखिर क्यों सरकार ग्रामीणों की मांगों की अंदेखी कर रही है

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