Knews Desk, उत्तराखण्ड की अस्थाई राजधानी देहरादून में रविवार की सुबह काफी संख्या में स्थानीय नागरिकों व पर्यावरण प्रेमियों ने मार्च निकाला। दिलाराम तिराहा से हाथीबड़कला चौकी तक निकाले गए मार्च का आह्वान सिटीजंस फॉर ग्रीन दून और देहरादून सिटीजंस फोरम ने किया, जिसमें 30 से अधिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। मार्च में शामिल पर्यावरण प्रेमियों का कहना था कि भानियावाला-ऋषिकेश हाईव को चौड़ा करने और आशारोड़ी-झाझरा व झाझरा-मसूरी के बीच सड़कों के निर्माण के लिए बड़ी संख्या में पेड़ों के प्रस्तावित कटान का दूनघाटी के पर्यावरण पर बेहद गंभीर प्रभाव पड़ेगा। कभी अपनी हरियाली और खुशगवार आबोहवा के लिए विख्यात रही दूनघाटी में लगातार पेड़ों के कटान से हालात लगातार भयावह हो रहे हैं और पिछले साल भीषण गर्मी इसी का परिणाम था। इसलिए, सरकार को विकास की अपनी नीति को पर्यावरण अनुकूल रखना होगा।
उत्तराखंड की अस्थाई राजधानी देहरादून अपनी खुशनुमा आबो हवा को लेकर दुनियाभर में मशहूर रहा है। किसी समय पर लोग गर्मी का सीजन आते ही देहरादून का रुख करते थे लेकिन हाल के कुछ वर्षों में जिस तरह गर्मियों के दिनों में यहां का तापमान 42 डिग्री पार पहुंच रहा है, तो ऐसे में देहरादून के लोग ही अब इस शहर से दूर जाने की सोचते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण हरे-भरे पेड़ों का अंधाधुंध कटान है। देहरादून सिटीजंस फोरम के संयोजक अनूप नौटियाल का कहना है कि सहस्त्रधारा और अशारोड़ी में हजारों पेड़ों का कटान हुआ तो वहीं खलंगा में भी पेड़ों का कटान होना था जिसे जन आंदोलन के चलते रोका गया सड़क चौड़ीकरण और अन्य योजनाओं के चलते आने वाले दिनों में हजारों पेड़ों का कटान किया जाएगा। राज्य सरकार के सामने पेड़ों के संरक्षण की आवाज बुलंद करने के लिए दिलाराम बाजार से सेंट्रियो मॉल तक पर्यावरण बचाओ रैली का आयोजन किया गया। इस रैली में पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी करीब 35 संस्थाएं शामिल हुई।
देहरादून सिटीजंस फोरम के संयोजक अनूप नौटियाल ने जानकारी देते हुए कहा कि सड़क चौड़ीकरण और निर्माण कार्यों के चलते देहरादून में कंक्रीट के जंगल का दायरा बढ़ता जा रहा है सरकार विकास योजनाओं का इको-फ्रेंडली तरीका नहीं अपना रही है उन्होंने कहा कि पहले देहरादून का मौसम इतना ठंडा होता था कि यहां पंखे भी कभी-कभी चलते थे लेकिन आज लोगों का एयर कंडीशनर के बिना गुजारा नहीं होता है क्योंकि यहां का तापमान गर्मियों में 42 डिग्री पार पहुंच रहा है। आज हर बुजुर्ग, कॉलेज में पढ़ने वाला युवा और हर वो इंसान जो अपने शहर में स्वच्छ वातावरण देखना चाहता है अपने शहर को हरा-भरा देखना चाहता है वो व्यथित होकर पर्यावरण बचाओ रैली में शामिल हो रहा है पिछले साल जून में हुई रैली में हजारों लोग पेड़ों को बचाने के लिए सड़कों पर उतरे थे।
वही ऋषिकेश-भानियावाला रोड के लिए 3500 पेड़, अशारोड़ी से झाझरा तक 6500 पेड़ और प्रेमनगर से मसूरी क्लाउड एंड तक सड़क तैयार करने के लिए करीब 20,000 पेड़ काटे जाने की बात हो रही है कुल मिलाकर हजारों पेड़ों को विकास की भेंट चढ़ना होगा ऐसे में देहरादून से हरियाली खत्म हो जाएगी। इसलिए इन हजारों पेड़ों को बचाने के लिए देहरादून की 35 संस्थाओं के स्वयंसेवी और स्थानीय लोग हजारों की संख्या में रविवार को सड़कों पर उतरकर सरकार को चेताने का काम किया। वही विपक्ष का भी मानना है साकार पर्यावरण संरक्षण के किये कोई ठोस नीति नही बना पा रही है।
अब सरकार के आगे दोहरी चुनौती है विकास भी करना है और पर्यावरण को भी संतुलित रखना है जिसके लिए पेड़ो को बचाना ही होगा। इसके लिये सरकार क्या नीति बनाती है यह तो वख्त बतायेगा। के न्यूज़ इण्डिया के लिये उत्तराखण्ड डेस्क रिपोर्ट।