फर्रुखाबाद में भी ज्ञानवापी जैसा मामला पहुंचा न्यायालय, मकबरे में शिव मंदिर होने का किया दावा

रिपोर्ट – ऋषि सेंगर

फर्रुखाबाद – उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जनपद में भी ज्ञानवापी जैसा मामला सामने आया है। प्राचीन रौजा (मकबरा) वाले भवन को प्राचीन गंगेश्वर नाथ महादेव शिवमंदिर होने का दावा करते हुए हिंदू जागरण मंच के नेता ने जिलाधिकारी को प्रतिवादी बनाकर सीनियर सिविल जज न्यायालय में मुकदमा दर्ज कराया है। न्यायालय के आदेश से अमीन कमीशन ने स्थल का निरीक्षण कर नाप जोख कर नक्शा बनाया है, जिसे न्यायालय में पेश किए जाने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी, लेकिन गुरुवार तक न्यायालय में अमीन कमीशन की रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई है ।

कई वर्ष पहले पुरातत्व विभाग की ओर से कराया गया जीर्णोद्धार

दरअसल कायमगंज कोतवाली क्षेत्र के ग्राम मऊ रसीदाबाद में मुगलकालीन रशीद मियां का प्राचीन रौजा स्थित है| जो सरकार के पुरातत्त्व विभाग द्वारा संरक्षित बताया जा रहा है, कई वर्ष पहले पुरातत्व विभाग की ओर से जीर्णोद्धार भी कराया गया था। अधिवक्ता दीपक द्विवेदी ने बताया कि पुरातत्व विभाग ने इस मामले से पल्ला झाड़ लिया है। हिंदू जागरण मंच के अध्यक्ष प्रदीप सक्सेना ने इस रौजा को प्राचीन गंगेश्वरनाथ महादेव शिव मंदिर बताते हुए पहले भी शासन में शिकायत भेजी थी कि मुगल आक्रमणकारियों ने शिव मंदिर को तोड़कर वहां मकबरा बना दिया था। उन्होंने सिविल न्यायालय सीनियर डिवीजन फतेहगढ़ में इसी दावे का मुकदमा दर्ज कराया है। जिसकी सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने अमीन कमीशन को निर्देश जारी किया और कहा कि स्थल पर जाकर मानचित्र बनाकर अपनी आख्या प्रस्तुत करें। जिसके अनुपालन में अमीन कमीशन ने उक्त स्थल का निरीक्षण किया, लेकिन अमीन कमिश्नर ने रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत नहीं की है।

प्राचीन गंगेश्वर नाथ महादेव मंदिर होने का दावा

अधिवक्ता दीपक द्विवेदी ने बताया की मऊ रसीदाबाद में मकबरे का ढांचा है। जिसमें प्राचीन गंगेश्वर नाथ महादेव मंदिर होने का दावा हिंदू जागरण मंच के पदाधिकारी प्रदीप सक्सेना ने किया है| उसी को लेकर सिविल जज सीनियर डिवीजन न्यायालय में वाद दायर किया गया।

न्यायालय के आदेश पर अमीन कमिश्नर ने किया स्थल निरीक्षण – अधिवक्ता

न्यायालय के निर्देश पर बीते दिन अमीन कमिश्नर ने मौके पर पहुंच कर नाप जोख की है। उन्होंने कहा कि उक्त ढांचे पर हिंदू धर्म से संबंधित निशान है जैसे दीवार पर सर्प और त्रिशूल दिखाई पड़ रहे हैं। जिनके चित्र साक्ष्य के रूप में दावें के साथ सबमिट किए गए हैं। उन्होंने बताया कि पुरातत्व विभाग ने इस मामले से पल्ला झाड़ लिया है और जरूरत पड़ी तो न्यायालय से पुरातत्व विभाग से खुदाई करवाने के लिए याचना करेंगे|

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