उत्तराखंड- उत्तराखंड की बागेश्वर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा की धमक कायम रही। उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी पार्वती दास ने जीत हासिल की। हालांकि शुरुआती रुझान में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने कड़ा मुकाबला चल रहा था लेकिन दिन ढलते- ढलते भाजपा प्रत्याशी पार्वती दास ने कांग्रेस के बसंत कुमार को 2810 मतों के अंतर से हरा दिया है। जबकि समाजवादी पार्टी, उत्तराखंड क्रांति दल और उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के उम्मीदवार हजार के अंक तक भी नहीं पहुंच सके। वहीं राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य सरकार की नीतियों और पीएम मोदी के विज़न पर मुहर लगाने के लिए मैं बागेश्वर की जनता का आभार व्यक्त करता हूं। यह जीत चंदन राम दास को श्रद्धांजलि है। हम उनके रुके हुए कार्यों, उनके द्वारा लाए हुए प्रस्तावों, और सपनों को पूरा करेंगे। वहीं बागेश्वर के नतीजे आने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं ने एक दूसरे को मिठाई खिला करके जीत का जश्न मनाया तो वहीं कांग्रेस मुख्यालय में सन्नाटा देखने को मिला हालांकि कांग्रेस का कहना है कि भाजपा की यह जीत धन बल और सरकारी मशीनरी के दुरूपयोग का नतीजा है। सवाल ये हे कि क्या बागेश्वर उपचुनाव का नतीजा धामी सरकार की नीतियों और पीएम मोदी के विज़न की जीत है?
आपको बता दे कि उत्तराखंड की बागेश्वर सीट इस साल अप्रैल में विधायक और कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास के निधन के बाद खाली हो गई थी। चंदन राम दास वर्ष 2007 से चार बार इस सीट से जीत चुके थे। बीजेपी ने इस सीट पर चंदनराम दास की पत्नी पार्वती दास को उम्मीदवार बनाया था, जबकि कांग्रेस ने बंसत कुमार को अपना उम्मीदवार बनाया था। बसंत कुमार पिछले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े थे। वहीं इस बार हुए उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी पार्वती दास को 32192,कांग्रेस प्रत्याशी बसंत कुमार को 29382,यूकेडी प्रत्याशी अर्जुन देव को 840,सपा प्रत्याशी भगवती प्रसाद को 619,यूपीपी प्रत्याशी भागवत कोहली को 263 जबकि.नोटा में 1214 वोट पड़े हैं। वहीं बागेश्वर के नतीजे आने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं ने एक- दूसरे को मिठाई खिलाकर जीत का जश्न मनाया तो वहीं कांग्रेस मुख्यालय में सन्नाटा देखने को मिला वही कांग्रेस का कहना है कि भाजपा की यह जीत धन, बल और सरकारी मशीनरी के दुरूपयोग का नतीजा है।
कुल मिलाकर 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले बागेश्वर का उपचुनाव बेहद ही महत्वपूर्ण था लेकिन इस चुनाव के नतीजे ने कांग्रेस को एक बार फिर से निराश किया सवाल यह है कि बागेश्वर चुनाव का नतीजा क्या धामी सरकार की नीतियों और पीएम मोदी के विज़न की जीत है?