हमीरपुर में नमामि गंगे परियोजना से वर्षों बाद पुनर्जीवित हो उठा एक गांव, रंग लाई ग्रामीणों की तपस्या

रिपोर्ट – सिद्धार्थ द्विवेदी

उत्तर प्रदेश — यूपी के हमीरपुर जनपद के बक्छा गांव के लोग अब आजादी की जश्न में डूबे हुए हैं। ऐसा इसलिए क्यूंकि आजादी के 76 साल बाद पहली बार इस गांव को पाइप से मिला पानी। इससे पहले यहां के लोग पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए नदी या पोखरों के पानी ऊपर पूर्णता निर्भर थे। ग्रामियों के मौसम में जैसे गांव के पोखर सूख जाता थे तो गांव में पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक मात्र साधन नदी का पानी ही बचता था, ग्रामीण नदी से पानी लाते थे कपड़े से छान कर उसका उपयोग करते है, बक्छा गांव के ग्रामीणों को कभी साफ और मीठा पानी नसीब नही हुआ, सालों बाद आज गाववालों को मिला मीठा व साफ पानी।

पानी के लिए होती थी लड़ाई, युवाओं की नही हो रही थी शादियां

बता दें कि बुंदेलखंड में पानी की समस्या हमेशा बनी रहती है। खासतौर पर गर्मी के मौसम में यह परेशानी विकट रूप ले लेती है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो लोगों को दूर दराज से पानी लाने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इस दिक्कत को देखते हुए सरकार ने नमामि गंगे परियोजना खासतौर पर बुंदेलखंड के लिए शुरू की है ताकि हर घर में नलों से पानी पहुंचाया जा सके। जिले में इस योजना के लिए लगभग 1100 करोड़ रुपये खर्च होंगे। आखिरकार गावों को अब राहत मिलना शुरू होगई, वर्षों बाद आज गांव को मिला पानी पुनर्जीवित हो उठा गांव।यूपी का एक ऐसा गांव जहां के लोग आजादी के 76 साल बाद भी पानी के लिए नदी पर निर्भर रहते थे। लगभग 1500 लोगों का ये गांव आज तक पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए नदी के पानी पर था निर्भर, आखिरकार ग्रामीणों के चेहरों पर आई मुस्कान गांव को पाइपलाइन के माध्यम से मिला शुद्ध पानी ।

गांव में पानी न होने से ग्रामीणों ने पलायन किया शुरू

आजादी से पहले, ऐसे बहुत ही कम परिवार थे जो अपने जानवरों के साथ गांव में रहते थे। बाद में, वे दूध बेचने के लिए शहरी इलाकों में जाते थे और अपने कंटेनरों में पानी लेकर वापस आते थे। पिछले 25-30 सालों से पानी बैलगाड़ी और टेक्टर ट्राली से गांव में पहुंचने लगा। वहीं ग्रामीणों ने बताया कि गांव में पानी न होने से युवाओं की शादियां होना बंद हो चुकी थी, गांव में पानी न होने से ग्रामीणों ने पलायन तक शुरू कर दिया था, आखिरकार सालों बाद गांव को मिला पानी दूर हुई गांव वालों को समस्या, बच्चों के चेहरों पर आई मुस्कान, ग्रामीणों को दिखने लगा भविष्य।

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