23 साल, कितने बेमिसाल ?

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड राज्य आज अपना स्थापना दिवस मना रहा है। प्रदेशभर में धूमधाम से राज्य स्थापना कि 23वी वर्षगांठ मनाई गई….राज्य सरकार ने इस वर्ष पुलिस लाईन देहरादून में मुख्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया था….देश की राष्ट्रपति दौपदी मुर्मू इस दौरान बतौर मुख्य अतिथि इस कार्यक्रम में उपस्थित रही….राष्ट्रपति ने परेड की सलामी ली…..वहीं राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शहीद आन्दोलनकारी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि राज्य सरकार शहीद आंदोलनकारियों के सपनों के अनुरूप उत्तराखंड के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राज्य सरकार निरंतर विकास के पथ पर अग्रसर है। साथ ही उत्तराखंड को विकल्प रहित संकल्प के मूल उद्देश्य के साथ सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने के लिए सरकार कार्य कर रही है। वहीं बीते 23 सालों की बात करें तो राज्य ने विकास के कई आयाम भी देखें हैं…हांलाकी अभी भी राज्य आंदोलनकारियों के कई सपने अधूरे है….जिसमें गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाना, लोकायुक्त का गठन, मूल निवास, रोजगार, पहाड़ों में स्वास्थ्य सेवाओँ को बेहतर बनाना समेत तमाम सपने अभी भी अधूरे है। वहीं राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर धामी सरकार ने राज्य आंदोलनकारियों की एक मांग को पूरी करने की दिशा में पहला कदम बढ़ा दिया है। दअरसल उत्तराखंड राज्य के आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को सरकारी नौकरियों में दस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण पर विचार के लिए गठित प्रवर समिति ने आज अपनी रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी को सौंप दी है…माना जा रहा है कि जल्द सरकार राज्य आंदोलनकारियों की इस मांग को पूरा कर सकती है….सवाल ये है कि आखिर राज्य ने बीते 23 सालों में क्या खोया है और क्या पाया है 

 

उत्तराखंड राज्य गठन के 23 साल पूरे हो चुके हैं. बीते इन 23 सालों में उत्तराखंड ने कई उपलब्धियां अपने नाम पर हासिल की. देश के मानचित्र पर अपनी नई पहचान स्थापित की. लेकिन कुछ काम ऐसे भी रहे जो इन 23 साल के बाद भी अधूरे हैं…इनमें गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाना, लोकायुक्त का गठन, मूल निवास, रोजगार, पहाड़ों में स्वास्थ्य सेवाओँ को बेहतर बनाना समेत तमाम सपने अभी भी अधूरे है। वहीं प्रदेशभर में राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर पूरे प्रदेश भर में कार्यक्रम आयोजित किए गए…..इस अवसर पर पुलिस लाईन देहरादून में मुख्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया था….देश की राष्ट्रपति दौपदी मुर्मू इस दौरान बतौर मुख्य अतिथि इस कार्यक्रम में उपस्थित रही….राष्ट्रपति ने परेड की सलामी ली…..वहीं राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शहीद आन्दोलनकारी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि राज्य सरकार शहीद आंदोलनकारियों के सपनों के अनुरूप उत्तराखंड के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राज्य सरकार निरंतर विकास के पथ पर अग्रसर है। साथ ही उत्तराखंड को विकल्प रहित संकल्प के मूल उद्देश्य के साथ सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने के लिए सरकार कार्य कर रही है।

 

आपको बता दें कि अलग पहाड़ी राज्य की मांग को लेकर उस समय इतना जुनून था कि महिलाएंबुजुर्गयहां तक कि स्कूली बच्चों तक ने आंदोलन में भाग लिया. जिसका नतीजा ये हुआ कि 9 नवंबर 2000 को एक अलग पहाड़ी राज्य बना. सन 2000 से 2006 तक इसे उत्तरांचल के नाम से पुकारा जाता था. लेकिन जनवरी 2007 में स्थानीय लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए इसका आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया…. वहीं राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर धामी सरकार ने राज्य आंदोलनकारियों की एक मांग को पूरी करने की दिशा में पहला कदम बढ़ा दिया है। दअरसल उत्तराखंड राज्य के आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को सरकारी नौकरियों में दस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण पर विचार के लिए गठित प्रवर समिति ने आज अपनी रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी को सौंप दी है…माना जा रहा है कि जल्द सरकार राज्य आंदोलनकारियों की इस मांग को पूरा कर सकती है….

 

 कुल मिलाकर उत्तराखंड राज्य ने अपने 23 साल पूरे कर लिए हैं। राज्य गठन के बीते 23 सालों की बात करें तो राज्य ने विकास के कई आयाम भी देखें हैं…हांलाकी अभी भी राज्य आंदोलनकारियों के कई सपने अधूरे है….जिसमें गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाना, लोकायुक्त का गठन, मूल निवास, रोजगार, पहाड़ों में स्वास्थ्य सेवाओँ को बेहतर बनाना समेत तमाम सपने अभी भी अधूरे है। देखना होगा राज्य आंदोलनकारियों के सपने कबतक साकार होंगे

 

 

 

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