फ्री बिजली की घोषणा के बाद भी चार घंटे तक बिजली गुल..

राजस्थान,  भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय की ओर से केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण ने भारत के 20वीं विद्युत शक्ति सर्वेक्षण की रिपोर्ट जारी कर समस्त राज्यों में बिजली की उपलब्धता, मांग और घाटे की स्थिति के बारे में बताया। रिपोर्ट में साल 2022-23 से लेकर 2031-32 तक का पूर्वानुमान जारी कर आने वाले समय में मांग बढ़ने के साथ-साथ सप्लाई एवं मांग में अंतर को दर्शाया। आने वाले समय में उपभोक्ताओं को बिजली कटौती का सामना करना पड़ सकता है।

वर्तमान समय में राजस्थान में पहली बार किसानों और आम उपभोक्ता को सर्दियों में चार घंटे तक की घोषित कटौती तक का सामना करना पड़ा, जिसका सीधा असर गेहूँ, चना, मटर और जौ की फसल पर विपरीत पड़ा। साथ ही उद्योगों पर बिजली कटौती की गई, अब केंद्र सरकार द्वारा जारी 20वीं विद्युत शक्ति सर्वेक्षण रिपोर्ट से राज्य सरकार की नींद उड़ गई है। क्योंकि कोयले की कमी के कारण बिजली उत्पादन कम हुआ है। वहीं मेंटेनेंस के चलते भी उत्पादन की कई इकाइयां बंद पड़ी हैं, जिस कारण ज्यादा मांग और किसानों को बिजली देने की नीयत से 12 रुपये दर से महंगी दर पर बिजली खरीद की जा रही है, फिर भी चार घंटे तक की कटौती की नौबत आन पड़ी।

बता दें कि इसका असर न केवल उपभोक्ता पर पड़ा, बल्कि कर्मचारी और अधिकारी भी इससे अछूते नहीं रहे। गत छह महीने से महंगी दर पर बिजली खरीद और वित्तीय प्रबंधन सही तरह न करने के कारण वेतन तक समय पर जारी नहीं किया गया, जिस कारण कर्मचारियों को आंदोलन तक करने पड़ गए। महंगी दर पर बिजली एक्सचेंज से खरीदने के कारण डिस्कॉम को नकद पैसे देने पड़ रहे हैं, वो भी तीन गुना अधिक दर पर, जिससे वेतन देने के लिए समय पर पैसा उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।

दूसरी ओर कोयला समय पर उपलब्ध न होने और केंद्र एवं राज्य सरकार में समन्वय की कमी के कारण सरकारी बिजली निगमों को उचित गुणवत्ता का कोयला न मिलने से भी कई इकाइयां बंद पड़ी हैं। धौलपुर का गैस पॉवर प्लांट और बाड़मेर का एक प्लांट तो पिछले कई साल से बंद पड़ा है। उनके अतिरिक्त वर्तमान में नौ से 11 यूनिट उत्पादन निगम की बंद पड़ी हैं, जिस कारण चार रुपये की दर से उपलब्ध होने वाली बिजली कम मिल पा रही है और महंगी दर पर बिजली खरीदनी पड़ रही है।

अमित मल्होत्रा का कहना है, अगर राज्य सरकार मांग को पूरा करने के लिए अतिरिक्त बिजली खरीदती है तो महंगी बिजली का पैसा राज्य सरकार को देना चाहिए, ताकि निगमों का वित्तीय ढ़ांचा सुदृढ़ हो। इस महंगी बिजली का भुगतान करने से पांच निगमों को समय से वेतन भुगतान नहीं किया जा रहा है, जिसका संगठन विरोध करता है। ऐसी ही परिस्थिति रही तो केंद्र सरकार की सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, जब गर्मियों में बिजली की मांग बढ़ेगी तो बिजली कंपनी इसका प्रबंधन सही प्रकार नहीं कर पाएगी और वेतन के लिए भी पैसे उपलब्ध नहीं होने के साथ ही उपभोक्तओं को भी कटौती का सामना करना पड़ेगा, जिसके लिए अभी से सरकार को वित्त उपलब्ध करवाना चाहिए। कोयले की कमी एवं मेंटेनेंस के कारण इकाइयां बंद करने पर रोक लगाने के प्रयास करने चाहिए।

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