KNEWS DESK- राजस्थान की सियासत गर्मा गई जब CM अशोक गहलोत ने राजेंद्र गुढ़ा को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया है। राजेंद्र गुढ़ा ने शुक्रवार को मानसून सत्र में अपनी ही सरकार को आड़े हाथों ले लिया। उन्होंने विधानसभा में कहा कि मणिपुर पर बात करने से पहले राजस्थान पर नजर डालनी चाहिए।
आपको बता दें कि राजेंद्र गुढ़ा ने शुक्रवार को विधानसभा में कहा मणिपुर के बजाय हमें अपने गिरेबां में झांकना चाहिए। राजस्थान में महिलाओं की सुरक्षा के मामले में हम असफल हुए हैं। गुढ़ा के इस बयान के बाद BJP ने मेज थपथपाकर उनका समर्थन किया। जिसके बाद 6 घंटे के अंदर ही सीएम गहलोत ने उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया। ये पहली बार नहीं है जब गुढ़ा ने अपने बयान से खुद की पार्टी और सरकार की मुश्किलें बढ़ाई हैं।
सच बोलने से नाराज हो गए मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा मंत्री पद से बर्खास्त करने के बाद राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि अगर सच बोलना गुनाह है तो वो आगे भी ये करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि ये हर कोई जानता है कि राजस्थान में महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ गए हैं और इसमें वो नंबर 1 पर है। उन्होंने कहा कि सच बोलने से मुख्यमंत्री नाराज हो गए लेकिन उन्हें परवाह नहीं है।
2008 में पहली बार जीते थे चुनाव
राजेंद्र गुढ़ा ने पहली बार चुनावी लड़ाई मायावती की BSP से साल 2008 में की थी और उसमें उन्हें जीत मिली इसके बाद उन्होंने अपनी पार्टी विधायकों के साथ गहलोत सरकार का समर्थन किया। इसके बदले में CM गहलोत ने उन्हें राज्यमंत्री बनाया था। साल 2018 में भी गुढ़ा ने चुनाव जीतकर गहलोत सरकार को समर्थन किया फिर साल 2019 में वो कांग्रेस में शामिल हो गए और उन्हें दूसरी बार मंत्री बनाया गया। एक समय ऐसा था कि गुढ़ा को अशोक गहलोत का कट्टर समर्थक कहा जाता था। 1 डेढ़ साल से उनके तेवर अचानक बदले नजर आएं। कहा जाता है कि गुढ़ा अब पायलट खेमे के साथ आ गए थे और उन्होंने गहलोत से दूरियां बना ली थीं। उन्हें पायलट के साथ कई बार मंच शेयर करते हुए भी देखा गया और पायलट के लिए बयानबाजी भी करते दिखें।