मेरठ। मेरठ के लोहियानगर की पटाखा फैक्ट्री में हुए विस्फोट में मारे गए पांचों मजदूरों के परिजन गुरुवार को मेरठ पहुंच गए। मोर्चरी पर अपनों की लाशें देखकर परिजन फफक-फफक कर रो पड़े। वहीं मौके से बारुद मिलने की भी एटीएस ने पुष्टि कर दी है लेकिन पुलिस और प्रशासनिक अफसर इसे अभी भी साबुन की फैक्टरी बता रहे हैं। हादसे के बाद अधिकारी पटाखे मिलने पर भी यहां पटाखे बनाने के कार्य से इनकार करते रहे।
हादसे में मारे गए प्रयाग शाह के साढू सीताराम साह ने बताया कि ठेकेदार रूपम ने चारों मजदूरों को बिहार के भोजपुर से दिवाली पर रंग के काम के लिए कहकर बुलाया था। इसके लिए 400 प्रतिदिन की दिहाड़ी यानी 12000 महीने के तय किए गए थे। उन्हें अंदाजा भी नहीं था कि परिवार का पालने की मजबूरी उन्हें मौत के मुहाने तक ले जाएगी।
चारों मजदूरों को जब फैक्टरी में आकर पता चला कि उन्हें दिवाली पर रंग के लिए नहीं बल्कि पटाखों के काम के लिए बुलाया गया है तो प्रयाग ने मना कर दिया। उसने वापस लौटने की बात कही तो ठेकेदार रूपम ने कहा कि अब उन्होंने पैसे ले लिए हैं, अब यह काम करने के बाद ही दिवाली के बाद जाना। प्रयाग ने अपने पिता को फोन करके भी बताया था कि पिताजी ये लोग पटाखों का काम करा रहे हैं। यह बड़ा खतरनाक है।
सीताराम ने कहा कि प्रशासन ने हमें रात को होटल में ठहराया, खाना खिलाया लेकिन इस पूरे मामले में गोलमाल किया जा रहा है। न हमारे साथियों को उचित इलाज मिला और नहीं सही जांच की जा रही है।
इस मामले में घोलमाल किया जा रहा है।
डीएम को मोर्चरी पर बुलाने और उचित मुआवजा राशि दिलाने की मांग रखी। कहा कि शवों को ले जाने के लिए प्रशासन गाड़ी का इंतजाम करे। परिजनों ने बताया कि चारों मृतकों के घर की हालत बेहद खराब है।