KNEWSDESK : शिवमोगा लोकसभा सीट पर इस बार तिकोने मुकाबले के आसार हैं। बीजेपी से बगावत कर वरिष्ठ नेता ईश्वरप्पा यहां से राघवेंद्र के खिलाफ आजाद उम्मीदवार के रूप में उतर रहे हैं। वहीं कांग्रेस ने पूर्व सीएम बी. एस. बंगारप्पा की बेटी गीता शिवराजकुमार को मैदान में उतारा है। कर्नाटक में शिवमोगा लोकसभा सीट बीजेपी का गढ़ रही है। 2009 से बीजेपी ने इस पर कब्जा कर रखा है। अभी यहां से वरिष्ठ बीजेपी नेता बी. एस. येदियुरप्पा के बेटे बी. वाई. राघवेंद्र सांसद हैं।
वरिष्ठ नेता के. एस. ईश्वरप्पा अपने बेटे को हावेरी लोकसभा सीट से टिकट नहीं दिए जाने से नाराज हैं और उन्होंने बी. वाई. राघवेंद्र के खिलाफ ताल ठोक दी है। दरअसल बीजेपी नेता के एस ईश्वरप्पा ने कहा कि “नरेंद्र मोदी जी ने क्या बोल रहा है, ये कुटुंब के अंदर कांग्रेस पार्टी है। वो राहुल गांधी हो या सोनिया गांधी होै। एक ही फैमिली के कंट्रोल में पार्टी है। वैसे ही हालात कर्नाटक में है। कर्नाटक के एक ही फैमिली के कंट्रोल में भाजपा है।”ईश्वरप्पा के मन में पार्टी, हिंदुत्व और पीएम मोदी के लिए सम्मान है। दो-तीन दिन के अंदर इसका समाधान कर दिया जाएगा। कांग्रेस के बारे में हम नहीं सोचते कि उम्मीदवार कौन है। हम केवल पिछले 10 साल के अपने काम के बारे में ध्यान दे रहे हैं।”
बीजेपी उम्मीदवार राघवेंद्र ने कहा कि “ईश्वरप्पा के मन में पार्टी, हिंदुत्व और पीएम मोदी के लिए सम्मान है। दो-तीन दिन के अंदर इसका समाधान कर दिया जाएगा। कांग्रेस के बारे में हम नहीं सोचते कि उम्मीदवार कौन है। हम केवल पिछले 10 साल के अपने काम के बारे में ध्यान दे रहे हैं।”
शिवमोगा में मुस्लिम आबादी
कांग्रेस उम्मीदवार गीता शिवराजकुमार को शिवमोगा में मुस्लिम आबादी से काफी वोट मिलने की उम्मीद है। वे अपने परिवार की साख पर भी भरोसा कर रही हैं। उनसे जब पूछा गया कि मैं लड़ाई के बारे में नहीं सोच रही हूूं। मैं वही करती हूं, जो मेरी पार्टी कहती है। मैं अपने पिता के काम गिना रही हूं। अब मेरा भाई भी अच्छा काम कर रहा है.. मैं उसके जैसा ही करूंगी।” आपको बता दें कि इलाके के मतदाता अपनी राय के बारे में खुल कर बात नहीं करना चाहते। लेकिन बहुत से बीजेपी और राघवेंद्र को समर्थन देते हैं।
कुछ लोगों ने तो यहां तक कहा कि उम्मीदवार चाहे कोई भी हो, वे बीजेपी को वोट देंगे। क्योंकि प्रधानमंत्री ने अच्छा काम किया है। भले ही ईश्वरप्पा येदियुरप्पा परिवार की राजनीति को चुनौती दे रहे हैं, लेकिन राघवेंद्र को भरोसा है कि ईश्वरप्पा अपना फैसला वापस ले लेंगे।