Knews Desk, कहते हैं कि अच्छी आदतें इंसान अपने बचपन में ही सीख लेता है। बच्चे गीली मिट्टी जैसे होते हैं, उनको बचपन मे जो सिखाया जाता है वो वही देखते और सुनते हुए बड़े होते हैं। इसलिए बच्चों को हमेशा अच्छी आदतें सिखानी चाहिए क्योंकि इससे बच्चे के मानसिक विकास पर बहुत प्रभाव पड़ता है। अगर हम आदतों की बात करें तो आदतों का मतलब सिर्फ अच्छा व्यवहार ही सिखाना नहीं पर बच्चे की उन आदतों को बनाना है जो आगे फ्यूचर में उसके काम आएं और उसको आगे बढ़ने में मदद करें।
आज कल का ऐसा समय है जहाँ कोई भी इंसान अपने लिए वक़्त नहीं निकाल पाता है। सब अपने काम में व्यस्त हैं. खुद के लिए या किसी और के लिए उनके पास वक्त नहीं है। सब अपनी ज़िन्दगी में संघर्ष कर रहे हैं और चूहे की दौड़ दौड़ते जा रहे हैं। ऐसी दिनचर्या के चलते वो अपने हेल्थ को कोम्प्रोमाईज़ कर रहे हैं जिसके चलते बहुत सी बीमारिया हो रही हैं. जैसे कि डायबिटीज , एसिडिटी और मोटापा। स्वास्थ्य एक बहुत चर्चा करने वाला विषय बन चुका है। इसका कारण है ख़राब जीवनशैली और खानपान की गलत आदतें.
कसरत करना आज कल की भाग दौड़ वाली ज़िन्दगी के लिए बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। इससे न ही सिर्फ एक इंसान का शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी बना रहता है। आज कल डिप्रेशन, एंग्जायटी, थाइरोइड जैसी बीमारियों की सबसे बड़ी वजह है मानसिक तनाव। कसरत के अलावा योगा के बहुत से ऐसे आसान हैं जो इंसान के मानसिक तनाव को कम करने में मदद करता है।
दरअसल, इन दिनों लाइफस्टाइल के चलते लोगों को कम उम्र में ही बड़ी बीमारियों का सामना करना पड़ता है इसलिए बच्चों को शुरू से कसरत करने की और स्वस्थ रहने की अगर आदत डाली जाए तो आगे चल के उनको इसका फायदा पहुँच सकता है।लेकिन अब जैसे कि हम देख सकते हैं कि टेक्नोलॉजी ने बच्चों को पूरी तरह अपने साथ जोड़ लिया है। गेम्स से लेकर पढ़ाई तक हर कोई अब फ़ोन और लैपटॉप्स में ही लगा रहता है। बाहरी गतिविधियों का तो अब मानो ट्रेंड ही चला गया है। उनको बाहर खेलने भेजना चाहिए । खाने की बात करी जाए तो बच्चों को शुरू से ही हरी सब्ज़ियां और फल खाने की आदत डालें. उनको नए फलों के बारे में बताएं और उनको जंक या फ़ास्ट फ़ूड खाने के नुक्सान बताएं। छोटी उम्र में लगने वाली कोल्ड ड्रिंक्स की आदत न लगने दें , बल्कि घर पर ही हेल्थी ड्रिंक्स बना के उनको दें।
खाने के अलावा बहुत ऐसी भी चीज़े है जो ना ही सिर्फ बच्चों में बल्कि बड़ों में भी अच्छी आदतें डाल सकता है। जैसे कि किताबें पढ़ना। उससे न केवल बच्चे की पढ़ने की आदत बनेगी बल्कि उसका दिमाग भी तेज़ होगा। किताबें पढ़ने पर उसका दिमाग रचनात्मक होगा और उसकी शब्दवाली भी बेहतर होती रहेगी। वो आगे चल कर जिस भी क्षेत्र में जायेगा उसकी रचनाएं और कला आगे बढ़ने में उसकी मदद करेंगी।
ये आदतें हर एक इंसान की रचनात्मकता को बढ़ने में मदद करती हैं ।