KNEWS DESK- 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से हटा दिया जिसे निरस्त किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई सारी याचिकाएं दायर की गईं और इसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला किया। आपको बता दें कि चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने अपना फैसला सुनाया और कहा कि जम्मू कश्मीर में भारत का संविधान चलेगा यानी जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाना संवैधानिक रूप से वैध है।
जम्मू-कश्मीर में जल्द हो चुनाव
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नए परिसीमन के आधार पर जम्मू-कश्मीर में जल्द से जल्द चुनाव करवाएं जाएं. इस संबंध में केंद्र सरकार को निर्देश दिया गया है। अदालत ने ये भी कहा है कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस दिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 पर सुनवाई करने वाली पांच जजों की पीठ में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसके कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पांच सितंबर को इस मामले में अपना फैसला 11 दिसंबर के लिए सुरक्षित रख लिया था। देशभर की निगाहें इस बात पर टिकी हुई हैं कि आज सुप्रीम कोर्ट का क्या फैसला होने वाला है। इस फैसले से जम्मू-कश्मीर के आगे का भविष्य भी तय होने वाला है।
5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 किया गया था निरस्त
केंद्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने का ऐलान किया था। इसके साथ ही राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था। इसके लिए सरकार की तरफ से ‘जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून’, 2019 लाया गया था, जिसे ही चुनौती दी गई है। जम्मू-कश्मीर के केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद से अभी तक वहां पर विधानसभा चुनाव नहीं हुए हैं। हालांकि, हाल के दिनों में स्थानीय चुनाव जरूर हुए हैं।
अनुच्छेद 370 हटने का बताया गया फायदा
चीफ जस्टिस ने कहा कि राष्ट्रपति के लिए यह जरूरी नहीं था कि वह जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा की सिफारिश के बाद ही 370 पर कोई आदेश जारी करें। अनुच्छेद 370 को बेअसर कर नई व्यवस्था से जम्मू-कश्मीर को बाकी भारत के साथ जोड़ने की प्रक्रिया मजबूत हुई।
युद्ध के हालात की वजह से अंतरिम व्यवस्था था अनुच्छेद 370
अनुच्छेद 370 पर फैसला पढ़ते हुए चीफ जस्टिस ने कहा है कि राज्य में युद्ध के हालातों की वजह से अनुच्छेद 370 एक अंतरिम व्यवस्था थी। अनुच्छेद 370(3) के तहत राष्ट्रपति को यह अधिसूचना जारी करने की शक्ति है कि अनुच्छेद 370 का अस्तित्व समाप्त हो जाता है और जम्मू-कश्मीर संविधान सभा के भंग होने के बाद भी अनुच्छेद 370 अस्तित्व में रहेगा। संविधान सभा की सिफ़ारिश राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी नहीं थी। जम्मू-कश्मीर संविधान सभा का उद्देश्य एक अस्थायी निकाय था।
अनुच्छेद 370 एक अस्थायी व्यवस्था
चीफ जस्टिस ने कहा कि जब राजा हरि सिंह ने भारत के साथ विलय समझौते पर दस्तखत किए थे, तभी जम्म-कश्मीर की संप्रभुता खत्म हो गई। वह भारत के तहत हो गया। साफ है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। भारत का संविधान जम्मू-कश्मीर के संविधान से ऊंचा है। अनुच्छेद 370 एक अस्थायी व्यवस्था है।
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