ईरानी हमलों से इजराइल के हाइफा क्षेत्र में हुआ नुकसान, ईरान ने मध्यस्थता का प्रस्ताव किया खारिज

KNEWS DESK-  ईरान और इजरायल के बीच जारी संघर्ष के तीसरे दिन भी हालात में कोई ठहराव नहीं आया है। दोनों देशों के बीच लगातार हो रहे हमलों में अब तक 230 से अधिक लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है, जबकि 1,200 से अधिक लोग घायल हुए हैं। इस बीच ओमान और कतर की ओर से की जा रही मध्यस्थता की कोशिशों को करारा झटका लगा है, क्योंकि ईरान ने इजरायल के साथ किसी भी प्रकार की सीधी बातचीत से इनकार कर दिया है।

ईरान के ताजा बैलिस्टिक मिसाइल हमले के बाद इजरायल के सेंट्रल और हाइफा क्षेत्रों में भारी नुकसान की खबरें हैं। मैगन डेविड एडोम (MDA) ने बताया कि सेंट्रल इजराइल में हुए हमले के बाद कई लोग मामूली रूप से घायल हुए हैं और राहत टीमें अब भी घटनास्थलों की जांच कर रही हैं ताकि किसी अन्य घायल व्यक्ति की पहचान की जा सके। वहीं, फायर और रेस्क्यू सेवाएं प्रभावित क्षेत्रों में लगी आग पर काबू पाने की कोशिशों में लगी हुई हैं।

हाइफा क्षेत्र में भी मिसाइल हमलों से बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा है, हालांकि अब तक किसी के गंभीर रूप से घायल होने की पुष्टि नहीं हुई है। इजरायल डिफेंस फोर्स (IDF) की होम फ्रंट कमान ने नागरिकों को बम शेल्टर से बाहर निकलने की अनुमति दे दी है। उनका कहना है कि ईरान के हालिया मिसाइल हमले के बाद तत्काल कोई और बड़ा खतरा नहीं है। हालांकि, सुरक्षा एजेंसियां स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं।

ओमान और कतर की ओर से चल रही शांति वार्ता की पहल को तब झटका लगा जब ईरान ने स्पष्ट किया कि वह इजरायल के साथ किसी भी स्तर पर मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा। तेहरान का कहना है कि जब तक “इजरायली आक्रामकता” बंद नहीं होती, तब तक बातचीत का कोई औचित्य नहीं है। विश्लेषकों का मानना है कि क्षेत्रीय तनाव को कम करने के लिए कूटनीतिक प्रयास बेहद जरूरी हैं, लेकिन दोनों देशों की कठोर स्थिति फिलहाल समाधान को और जटिल बना रही है।

ईरान-इजरायल युद्ध की आशंका के बीच अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता भी लगातार बढ़ रही है। संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ ने दोनों पक्षों से संयम बरतने और तत्काल युद्धविराम लागू करने की अपील की है। अमेरिका, रूस और चीन जैसी प्रमुख शक्तियां भी इस टकराव को रोकने के प्रयासों में जुट गई हैं। फिलहाल, पश्चिम एशिया के इस संघर्ष पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हैं। यदि जल्द ही शांति वार्ता की शुरुआत नहीं होती, तो यह संघर्ष और अधिक विकराल रूप ले सकता है।

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