‘ईरान ने दो बार की ट्रंप की हत्या की कोशिश’, इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू का बड़ा दावा

KNEWS DESK-  इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने रविवार को एक चौंकाने वाला दावा करते हुए कहा कि ईरान के इस्लामी शासन ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हत्या की दो बार कोशिश की थी। नेतन्याहू ने ट्रंप को ईरान के परमाणु मंसूबों के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते हुए उन्हें “दुश्मन नंबर एक” करार दिया।

नेतन्याहू ने कहा, “डोनाल्ड ट्रंप एक निर्णायक और स्पष्टवादी नेता हैं। उन्होंने ईरान के साथ वैसा नरम रवैया नहीं अपनाया जैसा कुछ पूर्व अमेरिकी प्रशासन ने किया था। उन्होंने ईरान पर कठोर प्रतिबंध लगाए और उनके परमाणु कार्यक्रम को गंभीर रूप से चुनौती दी। यही वजह है कि ईरान उन्हें अपने रास्ते की सबसे बड़ी बाधा मानता है।” इजरायली प्रधानमंत्री ने दावा किया कि खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार ईरान परमाणु हथियार बनाने के बेहद करीब था। नेतन्याहू ने कहा, “ईरान एक महीने के भीतर परमाणु परीक्षण करने की स्थिति में था और एक साल के अंदर उनके पास पूर्ण परमाणु हथियार हो सकता था। वो यूरेनियम को उच्च स्तर तक समृद्ध कर चुके हैं।”

नेतन्याहू ने दावा किया कि ईरान ने हिजबुल्ला और हमास जैसी प्रॉक्सी ताकतों के जरिए ट्रंप को मारने की दो बार कोशिश की। उन्होंने कहा, “जो लोग अमेरिका के खिलाफ नारे लगाते हैं, जिन्होंने बेरुत में 241 अमेरिकी सैनिकों की हत्या की, और वाशिंगटन के होटल में धमाका किया, वही अब ट्रंप को निशाना बना रहे हैं।”

नेतन्याहू ने खुलासा किया कि ईरानी शासन उन्हें भी मारना चाहता था। उन्होंने कहा, “ट्रंप की तरह मैं भी उनके लिए एक बड़ा खतरा हूं। ईरान जानता है कि मैं उनके परमाणु कार्यक्रम को कभी स्वीकार नहीं करूंगा।” प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चेताया कि ईरान जैसे शासन के हाथों में परमाणु हथियार पूरी दुनिया के लिए खतरा होंगे। “क्या आप चाहते हैं कि ऐसे कट्टरपंथी लोग आपके शहरों पर परमाणु बम गिराएं?” नेतन्याहू ने कहा। “हमें न केवल अपनी रक्षा करनी है, बल्कि पूरी दुनिया की सुरक्षा की भी जिम्मेदारी उठानी है।” उन्होंने कहा नेतन्याहू ने खुद को डोनाल्ड ट्रंप का “जूनियर पार्टनर” बताते हुए कहा कि दोनों ने मिलकर ईरान के परमाणु खतरे के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की। “हमने साथ मिलकर एक वैश्विक खतरे के खिलाफ मोर्चा लिया। यह साझेदारी सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि रणनीतिक भी है,”।

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