KNEWS DESK- भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर रूस दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। जिसके बाद विदेश मंत्री ने बताया कि भारत-रूस द्विपक्षीय व्यापार 50 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का हो गया है। साथ ही साथ उन्होंने दोनों देशों के बीच विकास की संभावना और व्यापार संबंधों को अधिक टिकाऊ बनाए रखने पर जोर दिया है।
सहयोग के प्रमुख पहलुओं बातचीत करते हुए विदेश मंत्री ने कुडनकुलम प्रोजेक्ट से संबंधित महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर करने पर जोर डाला है। साथ ही साथ परमाणु क्षेत्र पर चर्चा की है। उन्होंने परमाणु ईंधन आपूर्ति पर एक महत्वपूर्ण समझौते को अंतिम रूप दिए जाने की पुष्टि है, जो परमाणु क्षेत्र में भारत-रूस सहयोग में प्रगति का संकेत देता है। जयशंकर रूस की पांच दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर हैं। उन्होंने अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव से भी मुलाकात की।
बैठक के दौरान जयशंकर ने राष्ट्रपति पुतिन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से व्यक्तिगत ग्रीटिंग्स दीं। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने सहयोग की स्थिति और हालिया प्रगति पर विचार व्यक्त करते हुए एक पत्र भेजा है, जिसे मैं आपको दूंगा। विदेश मंत्री ने राष्ट्रपति पुतिन के निमंत्रण का जवाब देते हुए कहा कि निश्चित तौर पर पीएम मोदी अगले साल रूस की यात्रा के लिए उत्सुक हैं और मुझे यकीन है कि हम दोनों देशों के राजनीतिक कैलेंडर से पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तारीख खोजेंगे।
Honoured to call on President Vladimir Putin this evening. Conveyed the warm greetings of PM @narendramodi and handed over a personal message.
Apprised President Putin of my discussions with Ministers Manturov and Lavrov. Appreciated his guidance on the further developments of… pic.twitter.com/iuC944fYHq
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) December 27, 2023
रूसी राष्ट्रपति के साथ अपनी मुलाकात के बाद विदेश मंत्री जयशंकर ने एक्स (ट्विटर) पर कहा कि वह भारत-रूस संबंधों के आगे के विकास पर पुतिन के मार्गदर्शन की सराहना करते हैं। आज शाम राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करके सम्मानित महसूस कर रहा हूं। बता दें कि अब तक भारत और रूस में बारी-बारी से 21 वार्षिक शिखर सम्मेलन हो चुके हैं। पिछला शिखर सम्मेलन दिसंबर 2021 में दिल्ली में हुआ था. पुतिन का कहना है कि रूस और भारत के बीच व्यापार कारोबार कच्चे तेल और उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्रों के कारण बढ़ रहा है।
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