फरवरी से चल रहे रूस और युक्रेन के घमासान युद्ध के बीच पैट्रोलियम कंपनी द्वारा तेल के दाम जारी हो सकते है। युद्ध के कारण सभी पश्चिमी देश भारी आर्थिक रोक को काफी समय से झेल रहे हैं। इसी बीच अमेरिका और उसके सहायक देश कच्चे तेल की कीमतों को कम करने का सोच रहे हैं।
अमेरिका भारत को रूसी तेल कम दाम में देना चाहता है। दरअसल अमेरिका रूस पर नकेल कसने के लिए जी-7 और यूरोपियन यूनियन नए प्राइस जारी करने का ऐलान करने की तैयारी में है। ये प्राइस कैप लगभग 65 डॉलर से 70 डॉलर बैरल तक हो सकती है। बैरल का प्रयोग अंतररार्ष्ट्रीय स्तर पर पैट्रोल और कच्चे तेल को मापने के लिए किया जाता है। कैपिंग का दाम तय करने के लिए बुधवार को अमेरिका के साथ सभी देशों के राजदूतों की एक मीटिंग बुलाई गई जिसमें कच्चे तेल की प्राइस कैपिंग का प्रस्ताव भी रखा गया।
रूस नहीं बेच पाएगा महंगा तेल
फिलहाल तो रूस तेल को छूट पर बेच रहा है पर बैठक के बाद जो भी कीमत की घोषणा की जाएगी रूस को सभी जगह उसी दामों में तेल बेचना पड़ेगा। जिसके चलते तेल ना सस्ता होगा और ना ही महंगा। अमेरिका कैपिंग की कीमत 65 डॉलर से 70 डॉलर के बीच ही रेट सेट करने की मांग कर रहा है।
कुछ देशों ने जताई असहमति
एक रिपोर्ट के अनुसार कैपिंग की लिमिट प्रोडक्शन लागत से ज्यादा होगी। लगभग सब देश इसके लिए तैयार हैं लेकिन कुछ देशो का कहना है कि ये कीमत बहुत ज्यादा है। इसका रूस के बाजार पर बहुत गहरा असर पड़ेगा।