कानपुर- 5 फरवरी को पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ का दुखद रूप से निधन हो गया बता दें कि वो पिछले एक साल से इस दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे थे| इस दुर्लभ बीमारी का नाम है-एमाइलॉयडोसिस
एमाइलॉयडोसिस एक गंभीर और घातक बीमारी है। इस रोग के कारण हृदय, यकृत, गुर्दे और शरीर के अन्य भागों में एमाइलॉयड प्रोटीन का निर्माण होता है। एमाइलॉयडोसिस कई प्रकार के होते हैं। कुछ लोगो में यह वंशानुगत होता हैं। लंबे समय तक डायलिसिस कराने से भी यह रोग हो सकता है। यह रोग शरीर के कई अंगों को प्रभावित करता है।
हमारे शरीर एमाइलॉयड, कई अलग-अलग प्रोटीन जमा कर सकते हैं, लेकिन कुछ ही प्रमुख स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़े हैं। प्रोटीन का प्रकार और यह कहां इकट्ठा होता है, यह बताता है कि आपको किस प्रकार का एमाइलॉयडोसिस है। एमाइलॉयड जमा आपके पूरे शरीर में या सिर्फ एक क्षेत्र में जमा हो सकता है। हालांकि कुछ प्रकार के अमाइलॉइड जमा को अल्जाइमर रोग से जोड़ा गया है, मस्तिष्क शायद ही कभी एमाइलॉयडोसिस से प्रभावित होता है जो आपके पूरे शरीर में होता है।
- एएल (AL) एमाइलॉयडोसिस (इम्युनोग्लोबुलिन लाइट चेन एमाइलॉयडोसिस) | AL Amyloidosis (immunoglobulin light chain amyloidosis)
- एए एमाइलॉयडोसिस | AA amyloidosis
- डायलिसिस से संबंधित एमाइलॉयडोसिस | Dialysis-related amyloidosis (DRA)
- पारिवारिक या वंशानुगत एमाइलॉयडोसिस | Familial, or hereditary amyloidosis
- उम्र से संबंधित (सीनाइल) प्रणालीगत एमाइलॉयडोसिस | Age-related (senile) systemic amyloidosis
- अंग-विशिष्ट एमाइलॉयडोसिस Organ-specific amyloidosis
एमाइलॉयड सामान्य रूप से शरीर में नहीं बनता है। यह विभिन्न प्रकार के प्रोटीन से बना होता है। एमाइलॉयड एक असामान्य प्रोटीन है। यह आमतौर पर बोन मैरो में निर्मित होता है। इसे किसी भी टिशू या अंग में जमा किया जा सकता है।
शरीर के किन-किन अंगों पर असर पड़ता है, इस रोग के लक्षण प्रकट होते हैं। इस रोग के लक्षणों में सूजन, थकान, कमजोरी, सांस लेने में कठिनाई, सुन्नता, अंगों में दर्द शामिल हैं।
- घुटनों और पैरों में सूजन
- थकान और कमजोरी महसूस होना
- सांस लेने में तकलीफ
- त्वचा में बदलाव
- त्वचा का मोटा होना या मामूली चोट लगना
- आंखों के आसपास धब्बे पड़ना
- हृदय गति में वृद्धि
- सांस लेने में कठिनाई के कारण सीधे लेटने में असमर्थता
एमाइलॉयडोसिस का उपचार एमाइलॉयडोसिस के प्रकार पर निर्भर करता है। इस बीमारी के लिए कोई घरेलू उपचार उपलब्ध नहीं हैं। इस बीमारी के बाद दवाइयां जरूर खानी चाहिए। इसके अलावा कीमोथेरेपी या स्टेम सेल ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प है।