अच्छे मानसिक स्वास्थ्य को कैसे पहचाने ?,क्या आपका मानसिक स्वास्थ्य अच्छा है ?

हेल्थ डेस्क:सरल शब्दों में कहें तो मानसिक स्वास्थ्य आपके दिमाग या मन की वह  स्थिति है जिसमें आपको अपनी अच्छाइयों और बुराइयों ,कमजोरियों और ताकतों का एहसास होता है और आप उसी के अनुरूप व्यवहार करते हैं। अपनी ताकत के लिए आप बहुत ज्यादा अहंकार नहीं रखते हैं और जिन क्षेत्रों में आप कमजोर हैं, उन क्षेत्रों में आप प्रयासरत रहते हैं ,लेकिन परेशान नहीं होते हैं।अगर आपकी मानसिक स्थिति ऐसी है ,तो आप मानसिक रूप से पूर्णता स्वस्थ हैं ।

आपका मानसिक स्वास्थ्य आपकी सोचने ,समझने ,महसूस करने और कार्य करने की क्षमता को प्रभावित करता है।

मानसिक स्वास्थ्य को नापने के लिए कोई मीटर या पैमाना नहीं है ,हम मानसिक स्वास्थ्य में अच्छे, बहुत अच्छे या बुरे हो सकते हैं। मानसिक स्वास्थ्य का परीक्षण करने के लिए मनोचिकित्सक से संपर्क कर, कुछ लैब- टेस्ट और व्यवहार परीक्षण से मानसिक समस्याओं ,जैसे-तनाव ,चिंता ,डिप्रेशन ,फ्रस्ट्रेशन ,फोबिया , मेनिया, ईटिंग डिसऑर्डर , सिजो़फ्रेनिया,  आदि का पता लगाया जा सकता है । और मनोचिकित्सक के परामर्श से  विभिन्न तरीकों जैसे व्यायाम ,मेडिटेशन , मनोवैज्ञानिक थेरेपी इत्यादि से इन मानसिक विकारों को जल्दी ही दूर भी किया जा सकता है

आइए समझते हैं कि एक अच्छे मानसिक स्वास्थ्य वाले व्यक्ति के अंदर कौन-कौन सी विशेषताएं पाईं जाती हैं –

1.मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्तियों में अपनी संस्कृति एवं धार्मिक विश्वासों के अनुसार आध्यात्मिकता की भावना होती है।

2.वे खेल, मनोरंजन की गतिविधियों में आनंद लेते हैं। अभी नई चीजों को सीखने की कोशिश करते हैं और अपनी क्षमताओं को विकसित करने का प्रयास करते हैं विघटन समस्याओं का सामना करते समय सहायता की तलाश करते हैं ।

3.वे कठिन परिश्रम करते हैं तथा वर्तमान आवश्यकताओं के अनुसार एडजस्टमेंट करते हैं।

4.वह कार्य करने के लिए पहल करते हैं, अपने काम को पूरा करते हैं ,कार्यों के प्रति उनका दृष्टिकोण सकारात्मक होता है।

5.उनमें हास् -परिहास की समझ अच्छी होती है ,वह अपनी कमियों एवं गलतियों पर हंसते भी हैं। दूसरों का मजाक नहीं उड़ाते हैं।

6.वे जहां भी आवश्यक हो, सहायता देना और लेना दोनों को अच्छा समझते हैं।

7.उनमें भौतिक वस्तुओं के प्रति अत्यधिक लगाव नहीं होता।

8.वे समय का अच्छा प्रबंधन करते हैं ,जीवन में आराम से ,आनंद लेते हुए कार्य करते हैं।

9.उनकी एक स्वस्थ जीवन शैली होती है -वह अपने शारीरिक स्वास्थ्य, रहन-सहन ,खान पान का ध्यान रखते हैं।

10.उनका अपने पर्यावरण की अपेक्षाओं के अनुरूप अपने विचारों ,आदतों, आदि पर अच्छा नियंत्रण होता है।

11.वे जीवन और भविष्य के प्रति आशावादी होते हैं।

12.उन्हें अपनी क्षमताओं की वास्तविक जानकारी होती है अभी वही काम करते हैं जो अच्छा कर सकते हैं। इसके अलावा वे उन कार्यों को ना कर पाने के लिए परेशान नहीं होते जिनके बारे में उन्हें पता है कि वह अच्छा नहीं कर सकते।

13.अपनी दैनिक जीवन की समस्याओं का सामना करने एवं उनके निवारण में समर्थ महसूस करते हैं।

14.वे सामाजिक कार्यों में योगदान देने के लिए, लोगों से अच्छे संबंध बनाए रखने के लिए प्रयास करते हैं।

उल्लिखित सभी विशेषताएं मानसिक रूप से स्वस्थ सभी व्यक्तियों में मिलनी आवश्यक नहीं है , जितनी अधिक  विशेषताएं व्यक्ति में होंगी उतना ही बेहतर उस व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ होगा।

जिंदगी सभी के लिए चुनौतियां एवं समस्याओं से भरी हुई है। हम सभी करीबन रोज ही तनाव, चिंता और दुख जैसी अनेकों भावनाओं का शिकार होते हैं और अधिकांश व्यक्तियों में यह भावना जल्दी ही खत्म हो जाती हैं  पर कुछ लोगों में यह भावनाएं काफी देर तक बनी रहती हैं और वही जटिलताएं बनाती हैं और जीवन को नकारात्मकता की ओर ले जाती हैं। खुद के बारे में बुरा महसूस करना ,आशाहीन होना, असहाय होना ,चिंतित ,भयभीत घबराया हुआ, तनावग्रस्त महसूस करना,शरीर का कांपना, खुद को नुकसान पहुंचाने का विचार आना, ज्यादा समय अकेले बिताने की इच्छा रखना, चिड़चिड़ापन ,अशांति महसूस करना, यह सब मानसिक विकारों के कुछ पूर्व-संकेत हैं.

मानसिक स्वास्थ्य का निर्माण जन्म से प्राप्त अनुभवों से शुरू हो जाता है।बच्चे का परिवार -प्रथम संस्था है और बहुत महत्वपूर्ण भी है क्योंकि वही व्यक्ति को भोजन, प्रेम देखभाल और सुरक्षा प्रदान करता है। अभिभावकों की आदतें ,रुचियां, धार्मिक रुझान, जीवन शैली ,व्यक्तिगत सफलताएं याज्ञझझझ समस्याएं –इन सभी का  प्रभाव बच्चे की मानसिक स्वास्थ्य के निर्माण पर पड़ता है।

बच्चे के जीवन में दूसरी महत्वपूर्ण संस्था उसका विद्यालय होता है। स्वयं शिक्षकों का प्रसन्नचित् धैर्यवान पक्षपात रहित व्यक्तित्व /व्यवहार या आलोचनात्मक, पक्षपात पूर्ण, अधीर, सख्त, असंतुलित व्यवहार बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालता है। विद्यालय ही बच्चों को उनकी योग्यताएं ,कौशलों को विकसित करने के अवसर प्रदान करता है। विद्यालय में बच्चे के साथ हुआ व्यवहार उसके मानसिक स्वास्थ्य को बनाने और बिगाड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), द्वारा हाल ही में प्रकाशित एक विश्लेषण यह दर्शाता है कि दुनिया भर में करीबन एक अरब लोग मानसिक विकार से किसी ना किसी रूप से पीड़ित हैं। यह आने वाले समय के लिए यह बेहद चिंता एवं चिंतन का विषय है।

मानसिक स्वास्थ्य बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे जीवन के सभी कार्य प्रभावित होते हैं। कहा भी गया है ‘उत्तम मन- सक्षम तन’ । यदि आप तनाव /चिंतित महसूस करते हैं तो सबसे अच्छी बात है कि आप बात करें ,वार्तालाप करें और मदद लें।

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य के हेल्पलाइन टोल फ्री नंबर 1600 पर भी आप सुबह के 7:00 बजे से लेकर रात 10:00 बजे तक, टेलीफोन कॉल कर मनोचिकित्सक विशेषज्ञों की मदद ले सकते हैं । आप राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य मोबाइल ऐप” मानस’ की भी सहायता ले सकते हैं।

अपने मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें । यदि आपका मानसिक स्वास्थ्य अच्छा होगा तो आपके रोजमर्रा के काम भी बहुत अच्छे से होंगे और आप अपने जीवन में प्रसन्नचित्त होकर तरक्की करेंगे ।

 

 

श्रीमती रितु शर्मा केंद्रीय विद्यालय न०.2  बरेली में एन.सी.ई.आर.टी प्रैक्टिसिंग कॉउन्सलर हैं.  

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