अनिल विज एक व्यक्ति नहीं, अपितु एक कल्याणकारी संस्था का नाम है: कृष्ण भारद्वाज

Knews Desk, हरियाणा की राजनीति में एक विशेष स्थान रखने वाले अनिल विज जिनकी कुव्वत, कार्यशैली और डिसीजन लेने की क्षमता प्रदेशवासियों की दिलो-दिमाग व जुबान पर सदा रही। अनिल विज सदा गरीबों के मसीहा कहलाते रहे, चर्चा हमेशा यही रही कि पीड़ित को इंसाफ देने के लिए विज अपनी सरकार के सामने भी खड़े होने की क्षमता रखने वाले नेता हैं।

इन सभी बातों में दम है या केवल यह हवा हवाई बातें हैं इनकी सच्चाई जानने के लिए हमने हरियाणा सिविल सचिवालय में पुनर्नियोजित अधिकारी कृष्ण भारद्वाज जो अपर सचिव पद से सेवानिवृति पा चुके हैं से विशेष चर्चा की। विभिन्न दलों की सरकारों में 8-9 मंत्रियों के साथ कार्य करने के लंबे अनुभव वाले भारद्वाज प्रदेश के पूर्व गृह-स्वास्थ्य-आयुष मंत्री अनिल विज के अपर सचिव रह चुके हैं। भिन्न-भिन्न राजनीतिक दलों की सरकारों में अनेकों मंत्रियों के दृष्टिकोण और उनके वास्तविक स्वभाव को नजदीक से परखने का उन्हें अनुभव प्राप्त है।

जनता से विज का बर्ताव हमेशा मैत्रीपूर्ण: भारद्वाज

भारद्वाज को स्वर्ग सुधार चुके मंत्री राव बंसी सिंह, धीरपाल सिंह व सूरजपाल सिंह के साथ कार्य करने का सौभाग्य प्राप्त है। वह रणदीप सुरजेवाला, रमेश कौशिक, गोपाल कांडा के साथ-साथ रामविलास शर्मा और अभय सिंह चौटाला के साथ भी जुड़े रहे। पूर्व कैबिनेट मंत्री अनिल विज के दोनों कार्यकाल में वह उनके दिशा निर्देशों की पालना करते रहे और उन्हें देखते- समझते और परखते रहे। प्रदेश में समय-समय पर राजनीतिक माहौल भी बदला और फिर सरकारें भी बदली। मुख्यमंत्री भी बदले और फिर मंत्री भी। सचिवालय में बेहद कर्तव्यनिष्ठ और ईमानदार पहचान बरकरार रखने वाले कृष्ण भारद्वाज ने विज पर चर्चा के दौरान एक ही लाइन में बहुत कुछ स्पष्ट कर दिया कि अनिल विज एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक कल्याणकारी संस्था है। उन्होंने कहा कि मुझे यह स्वीकार करते हुए तनिक मात्र भी झिझक नहीं है कि अपने कार्यकाल में मैं सबसे अधिक अनिल विज से प्रभावित हुआ हूं। उनकी कार्यशैली न केवल सराहनीय अपितु अनुकरणीय भी है।

उनके कार्य करने के स्टाइल, चाल-ढाल व रुतबे में पूरा स्वाभिमान दृष्टिगोचर होता रहा। जनता से उनका बर्ताव हमेशा इतना मैत्रीपूर्ण रहता था कि प्रार्थी बिना भय बेझिझक अपनी बात उनके सामने रखते थे। अपने विभागीय अधिकारियों से वह इतनी सूझबूझ और परिपक्वता के साथ बात करते थे कि जिससे अधिकारियों को लगता था कि मंत्री जी को हक और हकीकत का पूरा ज्ञान है यानि अधिकारी ना तो उन्हें बरगला सकते थे और न ही उनके किसी आदेश को टाल सकते थे। अगर अधिकारी उन्हें मिस गाइड करने की कोशिश करते थे तो वह उनके लिए बेहद दुष्कर रहता था। 4-5 विभागों की बड़ी जिम्मेदारी संभालने के बावजूद उनके पास प्रदेश ही नहीं पड़ोसी राज्यों के लोग भी सहायता हासिल करने के लिए पहुंचते थे और विज पूरी तन्मयता और अपनेपन के साथ उनकी समस्याओं के समाधान का प्रयास करते थे।

बार-बार विज को सेलयूट करने का मन होता था: भारद्वाज

भारद्वाज ने बताया कि विज की कार्यशैली एवं कष्ट निवारण वाली छवि के अत्यधिक प्रचार-प्रयास के कारण सचिवालय में लगातार लोगों का इतना हजूम बढ़ने लगा कि विज को मजबूरन जनता दरबार लगाने पड़े। जिससे उनकी छवि इतनी प्रखरता को प्राप्त कर गई कि शायद उससे उनके सहयोगी भी ईर्ष्या करने लगे। भारद्वाज ने पुरानी यादें ताजा करते हुए बताया कि बीमारी के हालात व कोरोनाकाल में उनमें प्रदेशवासियों की सेवा करने का जज्बा देखा, जिसे देख मुझे बहुत संतोष भी होता था और हैरानी भी होती थी और बार-बार उन्हें सेलयूट करने का मन होता था।

ऐसा महसूस होता था कि हरियाणा बेहद सौभाग्यवान है कि कोरोना के दौरान सभी संबंधित विभागों पुलिस- स्वास्थ्य- आयुष एवं स्थानीय निकाय के प्रभारी अनिल विज हैं। उनके मार्गदर्शन के कारण ही यह सम्भव हो पाया कि सभी विभागों ने इतने उल्लेखनीय कार्य किए जिससे महामारी के परिणाम न्यूनतम में परिवर्तित हो सके। इस बात को कहने में बिल्कुल अतिशयोक्ति नहीं है कि अनिल विज ने अपनी जान पर खेलकर अपने कर्म व धर्म का निर्वहन किया।

विज की कार्यशैली और निष्ठा भाव को देख हम हमेशा प्रभावित रहे: भारद्वाज

भारद्वाज ने बताया कि सचिवालय के सभी अधिकारी- कर्मचारी स्वयं इस बात के गवाह है कि जिस दौर में मौत के डर से लोग अपने घरों में दुबके बैठे थे, सभी मंत्री एवं वरिष्ठ अधिकारी सचिवालय का रास्ता छोड़ गए थे, ऐसे बुरे दौर में अनिल विज ही थे जब अपने पूरे स्टाफ के साथ कार्यालय में बैठ राहत कार्यों का जायजा लेते थे और आवश्यक दिशा-निर्देश देते थे। उन्होंने कहा कि मुझे यह कहने और स्वीकार करने में बड़ा फर्क महसूस हो रहा है कि पिछले साढे 9 वर्ष के दौरान अनिल विज के मंत्री कार्यकाल के दौरान किए गए कार्यों की एक बहुत बड़ी पुस्तक लिखी जा सकती है। आज तो मैं केवल उनके स्वभाव और कार्यशैली के बारे में ही चर्चा पर स्थिर रहूंगा। आम नागरिकों की शिकायतों व कर्मचारियों के कल्याण के लिए किए गए उनके कार्य बेहद सराहनीय रहे।

स्वास्थ्य सेवाओं के लिए उनके द्वारा अनुमोदित फैंसलों की एक लंबी श्रृंखला को केवल एक पुस्तक में ही संग्रहित किया जा सकता है। उनके असाधारण जज्बे की कितनी भी प्रशंसा की जाए, वह कम रहेगी। उन्होंने कहा कि मुझे कई बार तो ऐसा महसूस होता था कि एक ही आदमी आखिर इतने कार्य कैसे कर सकता है। वह हमेशा हमारे लिए बेहद प्रेरणादायक रहे हैं। उनकी कार्यशैली और निष्ठा भाव को देख हम हमेशा प्रभावित रहे। अगर कहूं कि इन्हीं विशिष्ट गुणों ने उन्हें दूसरों से अलग और उत्कृष्ट स्थापित किया है, तो कतई गलत नहीं होगा। इसलिए मुझे यह कहने में बेहद हर्ष हो रहा है कि अनिल विज एक व्यक्ति नहीं अपितु एक कल्याणकारी संस्था का नाम है।

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