KNEWS DESK- क्या आपको भी ताजमहल का सफेद संगमरमर हरा नजर आ रहा है। अगर हां तो इसके पीछे की वजह आज हम आपको बताते हैं। दरअसल, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी ASI का कहना है कि ताजमहल को छोटे-छोटे से कीड़े से खतरा है। ये कीड़े संगमरमर का रंग बदल रहे हैं।
ताजमहल को छोटे-छोटे से कीड़े से खतरा है। ये कीड़े संगमरमर का रंग बदल रहे हैं। पहली बार इसकी जानकारी 2015 में मिली थी। 2020 में कोविड के दौरान इन कीड़ों का असर कम हुआ था, लेकिन अब एक बार फिर ये ताजमहल के लिए मुसीबत बन गए हैं। इन्हें गोल्डी काइरोनॉमस कहा जा रहा है। ASI का कहना है, यह कीट यमुना नदी में मार्च-अप्रैल से सितम्बर-अक्टूबर तक दिखता है, जब तापमान 28-35 डिग्री सेल्सियस तक रहता है लेकिन इस साल ये नवंबर तक भी बने हुए हैं। इनकी ब्रीडिंग का समय बढ़ा है और ये अब भी नजर आ रहे है फिलहाल ASI इस पर स्टडी कर रहा है।
क्या है गोल्डी काइरोनॉमस?
गोल्डी काइरोनॉमस एक तरह का कीट है. जो गंदे और प्रदूषित पानी में पनपता है। मादा कीट एक बार में एक हजार अंडे देती है और 28 में ये एक नए कीट के रूप में तैयार हो जाता है। यह दो दिन तक जीवित रहता है। यह ताजमहल पर बैठता है औ अपने मल से ताजमहल के अलग-अलग हिस्से की दीवारों को हरा बना रहा है। ASI का कहना है, यह कीट यमुना नदी में मार्च-अप्रैल से सितम्बर-अक्टूबर तक दिखता है, जब तापमान 28-35 डिग्री सेल्सियस तक रहता है लेकिन इस साल ये नवंबर तक भी बने हुए हैं। इनकी ब्रीडिंग का समय बढ़ा है नतीजा, ये अब भी नजर आ रहे है।
कहां से ताजमहल तक पहुंचे ये कीट?
ASI की केमिकल ब्रांच इन कीड़ों को खत्म करने के लिए काम कर रही है। वो इनके ब्रीडिंग सायकल और इनके रहने की आदर्श स्थिति को समझने के साथ इन्हें खत्म करने के लिए स्टडी कर रही है। यह कीट यमुना के प्रदूषित पानी से सीधे ताजमहल तक पहुंच रहे हैं। ताजमहल के अलग-अलग हिस्सों में हरे रंग के स्पॉट छोड़ रहे हैं। नतीजा, जगह-जगह पर काईनुमा धब्बे नजर आ रहे हैं।
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