सदियों से चली आ रही नवजात शिशु को पुराने कपड़े पहनाने की परंपरा, जानें क्या कहता है साइंस…?

KNEWS DESK- भारतीय घरों में नवजात शिशु के जन्म के बाद उन्हें पुराने कपड़े पहनाने की परंपरा सदियों पुरानी है। हालांकि यह परंपरा धार्मिक मान्यताओं से जुड़ी मानी जाती है, लेकिन इसके पीछे छिपे वैज्ञानिक कारण भी हैं जो इसे समझने में मदद करते हैं। आइए जानें कि नवजात शिशु को पुराने कपड़े पहनाने के पीछे के स्वास्थ्य संबंधी कारण क्या हैं और इसके फायदे क्या हो सकते हैं।

पुराने कपड़े आमतौर पर धुल चुके होते हैं, जिससे वे अधिक मुलायम हो जाते हैं। नवजात शिशु की त्वचा बहुत नाजुक और संवेदनशील होती है, इसलिए उन्हें ऐसे कपड़े पहनाना जरूरी है जो आरामदायक और नरम हों। पुराने कपड़े उनकी कोमल त्वचा को न केवल आराम देते हैं, बल्कि किसी भी तरह की रगड़ या खरोंच से भी बचाते हैं।

इंफेक्शन का खतरा कम

नए कपड़े अक्सर बिना धोए ही पहनाए जाते हैं, जिससे उनमें बैक्टीरिया और वायरस रह सकते हैं। ये वायरस और बैक्टीरिया नवजात शिशु को संक्रमण का शिकार बना सकते हैं। पुराने कपड़े, जो जन्म से पहले अच्छे से धोकर सुखाए गए होते हैं, इनमें संक्रमण का खतरा कम होता है। इससे नवजात शिशु वायरल बीमारियों से सुरक्षित रहते हैं।

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सही फैब्रिक का चयन

नवजात शिशु के कपड़े चुनते समय फैब्रिक का चयन भी महत्वपूर्ण होता है। मुलमल और कॉटन जैसे हल्के और सांस लेने योग्य फैब्रिक का उपयोग करना चाहिए, जो न केवल आरामदायक होते हैं बल्कि त्वचा के लिए भी अनुकूल होते हैं। इसके अलावा, टाइट फिटिंग वाले कपड़े पहनाने से बचना चाहिए, क्योंकि ये बच्चे की त्वचा को दबा सकते हैं और असुविधा पैदा कर सकते हैं।

हाइजीन पर ध्यान दें

नवजात शिशु के कपड़े हमेशा अच्छे से धोने के साथ-साथ सैनिटाइज भी करें। यह सुनिश्चित करता है कि कपड़े पूरी तरह से साफ और बैक्टीरिया-मुक्त हों। इसके अलावा, अपने बच्चे को उन लोगों से दूर रखें जिनके पास सर्दी, जुकाम या अन्य संक्रमण हो, ताकि बच्चे को किसी भी तरह की बीमारी से बचाया जा सके।

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