सायनाइड जितना ही खतरनाक है सरबेरा ओडोलम, ले चुका है कितनी जानें

KNEWS DESK – हर खूबसूरत या सुन्दर दिखने वाली चीजें अच्छी ही हो ऐसा नहीं होता है| कहा जाता है कि हर चमकने वाली चीज सोना नहीं होती है ये कहावत भारत और दक्षिण एशिया के अन्य भागों में पाए जाने वाले एक पेड़ पर भी लागू होती है। जो काफी खतरनाक होता है इस पेड़ को सूइसाइड ट्री कहा जाता है| आइए आज इसके बारे में जानेंगे कि कैसे और कितना खतरनाक है|

सरबेरा ओडोलम

भारत और दक्षिण एशिया के अन्य भागों में पाए जाने वाले सरबेरा ओडोलम पेड़ पर भी लागू होती है। भारत में पश्चिमी घाट के दलदली क्षेत्रों में यह पाया जाता है। माना जाता है कि हर हफ्ते इस पेड़ से कम से कम एक व्यक्ति की मौत हो जाती है। इस पेड़ को सूइसाइड ट्री भी कहा जाता है|

खूबसूरत पर खतरनाक

इसके फूल सफेद और तारे के आकार के होते हैं जिसकी लंबाई 5 से 7 सेंटीमीटर होती है और कली का रंग पीला होता है। इसकी पत्तियां 12 से 30 सेंटीमीटर लंबी, अंडाकार, गहरी हरी और चमकदार होती है। इसका फल छोटा और हरा होता है जो आम जैसा लगता है। इसके फल को ओथालांगा के नाम से जाना जाता है। इसकी गुठली अंडाकार होती है। इसका आम नाम पोंग-पोंग है और इसका पेड़ 30 फीट तक लंबा होता है।

जहरीला केमिकल 

इसकी बीज में सरबेरिन नाम का एक केमिकल पाया जाता है जो काफी खतरनाक होता है। यह इंसान की हार्ट रेट को धीमा कर देता है जिससे इंसान की मौत हो जाती है। ठीक जैसे कोई जहरीला इंजेक्शन आपके दिल को काम करने से रोक देता है, वैसे ही सरबेरिन भी है। इसको खाने के कुछ घंटे के अंदर ही इंसान की मौत हो सकती है। इसके जहर का लक्षण पेट दर्द, डायरिया, दिल की धड़कन का अनियमित हो जाना, उल्टी और सिरदर्द है। कई बार इंसान गलती से भी खा लेता है और किसी की हत्या में भी इसके इस्तेमाल की संभावना बनी रहती है।

सूइसाइड ट्री 

इस पेड़ को सूइसाइड ट्री के नाम से भी जाना जाता है। इसकी वजह यह है कि बड़ी संख्या में लोग इसको खाकर आत्महत्या करते हैं। धरती पर किसी अन्य पौधे की तुलना में इसके सेवन से आत्महत्या के मामले ज्यादा सामने आए हैं।

ले चुका है बहुत जानें

फ्रांस की लैबरेटरी ऑफ ऐनालिटिकल टॉक्सिलोजी की ओर से एक स्टडी की गई थी जिसे 2004 में प्रकाशित किया गया। इस स्टडी में सामने आया कि 1989 से 1999 के बीच करीब 500 लोगों की केरल में इसके सेवन से मौत हुई। स्टडी करने वाली टीम का मानना है कि इसके शिकार लोगों की असल संख्या दोगुनी से भी ज्यादा होगी।

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