चैंपियंस ट्रॉफी 2025: मेजबान पाकिस्तान का सफर बिना जीत के हुआ समाप्त, क्या इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ?

KNEWS DESK-  आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में एक असामान्य और शर्मनाक घटना घटी है, जिसमें पाकिस्तान, जो इस साल का मेजबान था, बिना एक भी मैच जीतने के टूर्नामेंट से बाहर हो गया। यह ऐसा पहली बार हुआ है जब मेजबान देश चैंपियंस ट्रॉफी के किसी संस्करण में एक भी मैच नहीं जीत पाया है। पाकिस्तान का टूर्नामेंट में सफर समाप्त होने से पहले वह बांग्लादेश के खिलाफ अपना अंतिम मैच खेल रहा था, लेकिन बारिश के कारण यह मैच रद्द कर दिया गया।

चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में पाकिस्तान ने अपने पहले मैच में न्यूजीलैंड के खिलाफ 60 रनों से करारी हार का सामना किया था। दूसरे मैच में भारत ने उसे 6 विकेट से हराया। दोनों मैचों में पाकिस्तान की टीम कभी भी मजबूत नहीं दिखी और वह बुरी तरह से हार गई। इसके बाद पाकिस्तान का आखिरी मैच बांग्लादेश से बारिश के कारण रद्द हो गया, लेकिन तब तक पाकिस्तान पहले ही ग्रुप स्टेज से बाहर हो चुका था। यह टूर्नामेंट पाकिस्तान के लिए आत्मसम्मान की लड़ाई बन गई थी, जिसे वह हार गया।

चैंपियंस ट्रॉफी का पहला संस्करण 1998 में बांग्लादेश में आयोजित हुआ था, लेकिन बांग्लादेश उस समय टेस्ट खेलने वाला देश नहीं था, इसलिए उसने टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लिया था। 2000 में केन्या ने मेज़बानी की थी, और इसी साल केन्या ने नॉकआउट स्टेज में भारत को हराया था। यह एकमात्र मुकाबला था जिसे केन्या ने खेला था और जीता था।

इसके बाद 2002 में श्रीलंका ने मेज़बानी की और उस संस्करण में वह भारत के साथ संयुक्त रूप से चैंपियंस बना था। 2004 में इंग्लैंड मेज़बान था, और उसने ग्रुप स्टेज में दोनों मैच जीतकर फाइनल में जगह बनाई थी, हालांकि फाइनल में वेस्टइंडीज ने उसे हराया।

2006 में भारत मेज़बान था, लेकिन भारत का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा और वह ग्रुप स्टेज से बाहर हो गया, हालांकि उसने एक मैच जीतने में सफलता प्राप्त की। फिर 2009 में दक्षिण अफ्रीका और 2013 व 2017 में इंग्लैंड ने मेज़बानी की, लेकिन इन संस्करणों में भी ऐसा नहीं हुआ कि मेज़बान देश बिना एक भी मैच जीते टूर्नामेंट से बाहर हुआ हो।

चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में पाकिस्तान का बिना जीत के बाहर होना क्रिकेट के इतिहास में एक शर्मनाक रिकॉर्ड बन गया है। पाकिस्तान के लिए यह टूर्नामेंट सबसे बुरा साबित हुआ, जहां न केवल मेज़बान होने का फायदा नहीं मिला, बल्कि यह भी साबित हुआ कि उन्हें अपनी टीम की ताकत और रणनीति पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। इस टूर्नामेंट के परिणाम ने पाकिस्तान के क्रिकेट इतिहास में एक काले धब्बे के रूप में जगह बनाई है।

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