KNEWS DESK – हम सभी कही भी जाने के लिए ओला का इस्तेमाल करते है| ओला देश में लाखों लोगो की पहली पसंद है| ओला की शुरुआत के पीछे एक रोचक कहानी है|आईआईटी से ग्रेजुएट भाविश अग्रवाल ने ओला की शुरुआत की| भाविश ने ओला कैब सर्विस की सफलता के बाद साल 2017 में ओला इलेक्ट्रिक नाम से एक और कंपनी शुरू की| यह कंपनी इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन बनाती है| आज हम आपको ओला के पीछे की कहानी बताएंगे |
Ola कैब सर्विस
छोटे शहरों से लेकर महानगरों में लोगों को घर से बाहर जाना होता है, तो उनकी पहली पसंद Ola ही होती है| घर से निकलने से 10 मिनट पहले ऑनलाइन Ola की बुकिंग करते हैं और देखते ही देखते Ola कैब घर के बाहर आकर खड़ी हो जाती है| और लोग आराम से Ola में बैठकर अपने डेस्टिनेशन की ओर चल देते हैं| लेकिन क्या आपको Ola कैब सर्विस की शुरुआत होने की कहानी मालूम है, अगर नहीं तो आज हम आपको बताएंगे| बहुत ही रोचक स्टोरी है|
ओला कैब का आईडिया
Ola सर्विस की शुरुआत आईआईटी से ग्रेजुएट भाविश अग्रवाल ने की है| इस कैब सर्विस को शुरू करने का आइडिया भाविश के दिमाग में एक ड्राइवर से झगड़ा करने के बाद आया| एक दिन भाविश अग्रवाल टैक्सी से कही पर जा रहे थे| लेकिन अपने डेस्टिनेशन पर उतरने से पहले ही रास्ते में टैक्सी ड्राइवर की मनमानी को लेकर भाविश का विवाद हो गया| कैब ड्राइवर उनसे कुछ ज्यादा ही किराया मांग रहा था| ऐसे में उनके दिमाग में एक आइडिया आया कि क्यों एक ऐसी कैब सर्विस शुरू की जाए, जिसका किराया कम हो| साथ ही ड्राइवर का व्यवहार भी अच्छा हो और वह अपने काम के प्रति जिम्मेदार भी हो| और लोग घर बैठे- बैठे टैक्सी बुक कर सकें|
बेंगलुरु से बांदीपुर जा रहे थे घूमने
भाविश अग्रवाल वीकेंड पर अपने दोस्तों के साथ बेंगलुरु से बांदीपुर किराये की टैक्सी लेकर घूमने जा रहे थे| लेकिन ड्राइवर ने आधे रास्ते में ही अपनी गाड़ी रोक दी और तय रेट से ज्यादा किराया मांगने लगा| लोगों ने ड्राइवर को काफी समझाया लेकिन वह नहीं माना| ऐसे में भाविश और उनके दोस्तों को बस से बांदीपुर तक की सफर को पूरा करना पड़ा| इस दौरान टैक्सी ड्राइवर के साथ हुआ विवाद भाविश के दिमाग में घूमता रहा| तभी उनके दिमाग ने ओला टैक्सी सर्विस शुरू करने का आइडिया आया|
कैब सर्विस शुरू करने का फैसला नहीं था आसान
अच्छी- खासी नौकरी छोड़कर कैब सर्विस शुरू करने का फैसला आसान नहीं था| अपने घर वालों के साथ जब उन्होंने यह आइडिया शेयर किया तो इसके लिए वे लोग राजी नहीं हुए| इसके बावजूद भी भाविश अग्रवाल ने हार नहीं मानी और साल 2011 में बेगलुरु में अंकित भाटी के साथ मिलकर ओला कैब्स की शुरुआत कर दी| उनका यह आइडिया बहुत ही कम समय में सफल हो गया| धीरे- धीरे ओला कैब सर्विस पूरे देश में छा गई| आलम यह है कि आज देश के करोड़ों लोगों के स्मार्टफोन में ओला ऐप डाउनलोडेड है| जब भी किसी को कहीं पर जाना होता है, तो ओला ही बुक करते हैं| ख़बरों के मुताबिक ओला कैब की वैल्यूएशन 4.8 बिलियन डॉलर यानी 39832 करोड़ रुपये हो गई है|