वक्फ संशोधन बिल को मिली राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की मंजूरी, अस्तित्व में आया नया कानून

KNEWS DESK- वक्फ संशोधन बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी दिलाई है। अब यह कानून बन चुका है और पूरे देश में लागू होगा। लोकसभा और राज्यसभा दोनों से बिल के पारित होने के बाद इसे राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेजा गया था, जहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसे मंजूरी दी। इस बिल को अब Unified Management Empowerment Efficiency and Development (उम्मीद) के नाम से जाना जाएगा।

राज्यसभा में वक्फ संशोधन बिल के पक्ष में 128 वोट और विपक्ष में 95 वोट पड़े थे। इससे पहले लोकसभा में इसके पक्ष में 288 और विपक्ष में 232 वोट पड़े थे। विपक्षी दलों ने इस बिल का पुरजोर विरोध किया, इसे असंवैधानिक बताते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सरकार से बिल वापस लेने की अपील भी की थी।

सरकार का कहना है कि इस बिल से वक्फ प्रशासन में पारदर्शिता, जवाबदेही और समावेशिता को बढ़ावा मिलेगा। गरीब मुसलमानों को उनके अधिकार मिलेंगे, जो पहले उनसे वंचित रहते थे। इस कानून के माध्यम से देश में मुसलमानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाने का प्रयास किया गया है।

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि 2006 में देश में 4.9 लाख वक्फ संपत्तियां थीं, जिनसे मात्र 163 करोड़ रुपये की आय होती थी। 2013 के संशोधन के बाद भी आय में केवल तीन करोड़ रुपये की वृद्धि हुई। वर्तमान में देश में 8.72 लाख वक्फ संपत्तियां हैं, लेकिन उनके प्रभावी प्रबंधन के लिए इस बिल की आवश्यकता थी।

विपक्षी दलों ने इस बिल को असंवैधानिक करार दिया है, उनका कहना है कि इससे मुसलमानों के अधिकारों पर असर पड़ सकता है। कांग्रेस के अलावा अन्य विपक्षी दलों ने भी सरकार के कदम पर सवाल उठाए हैं।

वक्फ संशोधन बिल अब कानून बन चुका है और यह देखना बाकी है कि क्या यह वास्तव में मुसलमानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाने में सहायक होगा। सरकार के दावे और विपक्ष के विरोध के बीच एक बड़ी बहस छिड़ी है, जो आने वाले दिनों में और भी गहराई ले सकती है।

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