KNEWS DESK- बजट सत्र की शुरुआत से पहले, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज संसद में सार्थक चर्चा और संवाद को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि संसद में व्यवधान का दौर अब समाप्त होना चाहिए और इसके स्थान पर ऐसी चर्चा होनी चाहिए जो देश की प्रगति के लिए सकारात्मक हो।
उपराष्ट्रपति धनखड़ राष्ट्रीय महिला आयोग के 33वें स्थापना दिवस कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे, जहां उन्होंने संसद के भीतर की कार्यप्रणाली पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने विशेष रूप से विपक्ष की भूमिका पर टिप्पणी करते हुए कहा कि देश को एक सहयोगी और सार्थक विपक्ष की आवश्यकता है, जो लोकतंत्र की गरिमा को बनाए रखते हुए रचनात्मक तरीके से काम करे।
संसद में व्यवधान के बजाय सार्थक बहस की आवश्यकता
उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि संसद में बहस और चर्चा का मुख्य उद्देश्य जनता की भलाई और देश के विकास से जुड़ा होना चाहिए। उन्होंने संसद में कार्यवाही बाधित करने के बजाय इसे अधिक उपयोगी और जनहित में बनाने की बात की। उनका कहना था कि विपक्ष और सरकार दोनों को मिलकर देश के हित में काम करना चाहिए, और इसके लिए एक सकारात्मक और समाधान-उन्मुख दृष्टिकोण की जरूरत है।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने विपक्ष से अपेक्षाएँ जताते हुए कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष का भी एक अहम स्थान है, और वह सरकार की नीतियों पर विचार और सुझाव देने में सहयोगी भूमिका निभा सकता है। उनका मानना था कि सार्थक चर्चा और विचार-विमर्श के बिना कोई भी मुद्दा सही दिशा में नहीं बढ़ सकता, और यही लोकतंत्र की ताकत है।
उपराष्ट्रपति का यह बयान बजट सत्र से पहले संसद में चल रहे असहमति और व्यवधान के मामलों को ध्यान में रखते हुए आया है। उनका स्पष्ट संदेश था कि संसद में सिर्फ राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता से ज्यादा, देश के विकास और जनता की भलाई की दिशा में काम करने की आवश्यकता है।
सार्थक संवाद और स्वस्थ बहस से ही लोकतंत्र मजबूत होता है, और उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि हम सभी को मिलकर इस दिशा में काम करना चाहिए ताकि संसद एक सशक्त मंच बने, जो देश की समृद्धि और प्रगति की ओर अग्रसर हो।