उत्तरप्रदेश: हलाल प्रोडक्ट्स के खिलाफ कई जिलों में छापेमारी, कई स्टोर पर मिले पैकेट्स

KNEWS DESK- उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने हलाल सर्टिफिकेशन से जुड़े सामानों पर बैन लगा दिया है और ये बैन लागू भी कर दिया गया है। हलाल सर्टिफाइड प्रोडक्स के प्रोडक्शन स्टोरेज, सेल, डिस्ट्रिब्यूशन, सभी पर बैन लग गया है। हलाल सर्टिफाइड वो सामान जो EXPORT के लिए बने थे। वहीं इस बैन से बाहर हैं।

ये है पूरा मामला

हलाल प्रमाण जारी करने वाली कंपनियों के खिलाफ हजरतगंज थाने में मुकदमा दर्ज करवाया गया है। आरोप है कि कंपनियों से जुड़े लोग लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ करने के साथ ही अनुचित लाभ लेकर धन अर्जित कर रहे हैं। आरोप है कि धन का इस्तेमाल राष्ट्र विरोधी गतिविधियों और आतंकी संगठनों को फंडिंग के लिए किया जा रहा है। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है। मामले में दर्ज हुई एफआईआर की जांच एसटीएफ को ट्रांसफर कर दी गई है।

एक्शन में टीमें?

हलाल लिखे उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध के बाद प्रदेश के हर जिलों में पुलिस, प्रशासन, खाद्य और औषधि सुरक्षा विभाग की संयुक्त टीमें बनाई गई हैं। ये टीमें हर जिले में मॉल्स, शापिंग कॉम्प्लेक्स, दवा की दुकानों और अन्य काउंटर पर तलाशी अभियान चला रही हैं। प्रतिबंध का आदेश जारी होने के बाद प्रदेश भर में हलाल सर्टिफिकेट वाले उत्पादों को काउंटर से हटाने का दौर भी शुरू हो गया।

असिस्टेंट कमिश्नर खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन विभाग ममता चौधरी के मुताबिक गोपनीय तरीके से पहले फूड इंस्पेक्टर दुकानों में जाकर चेकिंग करते हैं। अगर हलाल सर्टिफाइड प्रोडक्ट मिलते हैं तो उसकी सूचना तत्काल उन्हें दी जाती है। जिसके बाद टीम मौके पर जाकर सीलिंग की कार्रवाई करती है। मंगलवार को सिविल लाइन स्थित खुन्नूलाल फ्रोजन फूड्स स्टोर पर हलाल सर्टिफाइड वस्तुएं बेचे जाने की शिकायत मिली थी। इस शिकायत पर खुद असिस्टेंट कमिश्नर खाद्य सुरक्षा ओर औषधि प्रशासन ममता चौधरी ने अपनी टीम के साथ छापेमारी कार्रवाई की।

क्यों दिया जाता है हलाल सार्टिफिकेट?

आम तौर पर हलाल सर्टिफिकेशन मीट और नॉन-मीट दोनों तरह के प्रोडक्ट के लिए दिया जाता है। यानी तमाम 100 फीसदी शाकाहारी उत्पाद के लिए भी ‘हलाल सर्टिफिकेशन’ लिया जा सकता है। हलाल सर्टिफाइड का मतलब है कि खाने वाला प्रोडेक्ट शुद्ध है और इस्लामी कानून के अनुरूप तैयार किया गया है। कुछ शाकाहारी मिठाइयों में अल्कोहलिक तत्व हो सकते हैं। इसलिए उन्हें हलाल की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। भले ही पहले से वो सर्टिफाइड क्यों न हो।

भारत से बड़ी मात्रा में खाद्य उत्पादों का निर्यात सिंगापुर, मलेशिया, खाड़ी देशों और कई अंतरराष्ट्रीय बाजारों में होता है, जहां बड़ी संख्या में इस्लामिक आबादी है। ऐसे में देश की अधिकतर कंपनियां अपने प्रोडक्ट के लिए ‘हलाल सर्टिफिकेशन’ करवाती हैं।

क्या है हलाल और हराम?

हलाल और हराम अरबी शब्द हैं। हलाल का अर्थ है वैध और हराम का अर्थ-अवैध। इस्लाम में जिन कार्यों को करने की इजाजत है वे हलाल हैं और जिन पर रोक है उन्हें हराम कहा गया है। इस्लाम में जिन जानवरों का मांस खाना वैध है उन्हें हलाल की श्रेणी में रखा गया है। बाकी जानवरों का मांस खाना हराम है। इस्लाम में जानवर को जिबह करने का भी तरीका बताया गया है। जानवरों को उसी तरीके से जिबह करना हलाल है और इस तरीके से काटे गए जानवर का मांस खाना ही हलाल माना जाता है। हलाल-हराम सिर्फ खान-पान तक ही सीमित नहीं है। इस्लाम में जुआ, ब्याज, चोरी, धोखाधड़ी, जबरन वसूली जैसे काम हराम माने गए हैं।

ये भी पढ़ें- Bigg Boss 17: अंकिता लोखंडे से नोक-झोंक कर अब दूसरी लड़की का हाथ थामे दिखे विक्की जैन, देखें ये वीडियो

About Post Author