9वें दिन भी हंगामा, राज्यसभा में मणिपुर पर अल्पकालिक चर्चा को मंजूरी

KNEWS DESK- संसद के मानसून सत्र का सोमवार यानि आज 8वां दिन था। दोनों सदनों में मणिपुर मुद्दे पर हंगामा हुआ। राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ ने मुद्दे पर अल्पचर्चा की मंजूरी दे दी, लेकिन सदन में हंगामा जारी रहा। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने मणिपुर पर अल्पकालिक चर्चा के डिस्कशन को मंजूरी दे दी, लेकिन विपक्षी सासंदों की मांग नियम 267 के तहत व्यापक चर्चा की थी इसलिए विपक्ष का हंगामा जारी रहा और सदन को स्थगित कर दिया गया।

राज्यसभा में सुबह मणिपुर मुद्दा उठा तो सरकार ने कहा कि हम इस पर आज ही चर्चा को तैयार हैं। दोपहर 2 बजे इस पर चर्चा हो। राज्यसभा सांसद पीयूष गोयल ने कहा- विपक्ष चर्चा से भाग रहा है, वो सच को सामने नहीं आने दे रहा। विपक्षी सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर अड़ गए। 2 बजे जब सदन शुरू हुआ तो सभापति ने मणिपुर पर अल्पचर्चा को मंजूरी दे दी, लेकिन हंगामा जारी रहा। इसके बाद सदन की कार्यवाही पहले 2.30 बजे और फिर 3.30 बजे तक स्थगित कर दी गई। 3.30 के बाद जब राज्यसभा शुरू हुई तो भी हंगामा जारी रहा, इसके बाद सत्र अगले दिन यानि 1 अगस्त, 11 बजे तक सदन स्थगित हो गया।

क्या है नियम 267 ?

राज्यसभा की नियम पुस्तिका में नियम 267 को परिभाषित किया गया है। इसमें कहा गया है कि कोई भी सदस्य दिनभर के सूचीबद्ध एजेंडे को रोकते हुए सार्वजनिक महत्व के जरूरी मुद्दों पर चर्चा के लिए नोटिस प्रस्तुत कर सकता है। 1990 के बाद से रूल 267 का महज 11 बार बहस के लिए इस्तेमाल किया गया है। आखिरी बार इसका इस्तेमाल साल 2016 में नोटबंदी के लिए किया गया था, जब मोहम्मद हामिद अंसारी सभापति थे. इस नियम का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि सार्वजनिक महत्व के मुद्दे पर बहस के लिए सभी कामों को रोक दिया जाता है। हालांकि नियम 267 के अलावा सरकार से सवाल पूछने और प्रतिक्रिया मांगने का सांसदों के पास एक और तरीका होता है. वे प्रश्नकाल के दौरान किसी भी मुद्दे से संबंधित प्रश्न पूछ सकते हैं, जिसमें संबंधित मंत्री को मौखिक या लिखित उत्तर देना होता है। कोई भी सांसद शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठा सकता है। हर दिन 15 सांसदों को शून्यकाल में अपनी पसंद के मुद्दे उठाने की अनुमति होती है।

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