KNEWS DESK – उन्नाव रेप केस में दोषी ठहराए जा चुके पूर्व बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने सेंगर को कड़ी शर्तों के साथ जमानत देते हुए उनकी उम्रकैद की सजा पर भी फिलहाल रोक लगा दी है। निचली अदालत ने दिसंबर 2019 में सेंगर को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
यह फैसला जस्टिस सुब्रमणियम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की डिवीजन बेंच ने सुनाया। कोर्ट ने सेंगर को 15 लाख रुपये के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही उन्हें इतनी ही रकम के तीन जमानतदार भी पेश करने होंगे।
जमानत के साथ सख्त शर्तें
दिल्ली हाई कोर्ट ने सेंगर को जमानत देते हुए कई सख्त शर्तें भी लगाई हैं। आदेश के मुताबिक, सेंगर पीड़िता से 5 किलोमीटर के दायरे में नहीं जाएगा। वह दिल्ली में ही रहेगा और कहीं बाहर नहीं जाएगा। पीड़िता या उसके परिवार को किसी भी तरह की धमकी नहीं देगा। अपना पासपोर्ट ट्रायल कोर्ट में जमा करेगा। हर सोमवार को पुलिस के सामने रिपोर्ट करना अनिवार्य होगा।
कोर्ट ने साफ किया है कि अगर इन शर्तों में से किसी का भी उल्लंघन हुआ, तो सेंगर की जमानत तुरंत रद्द कर दी जाएगी। इसके अलावा, यदि भविष्य में उनकी सजा बरकरार रहती है, तो उन्हें शेष सजा काटने के लिए अदालत के सामने पेश होना होगा।
अगली सुनवाई 15 जनवरी 2026 को
इस मामले की अगली सुनवाई 15 जनवरी 2026 को तय की गई है। उस दिन आपराधिक अपील और संबंधित आवेदन को चीफ जस्टिस के आदेशों के तहत रोस्टर बेंच के सामने सूचीबद्ध किया जाएगा।
इस साल की शुरुआत में कुलदीप सेंगर को अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIMS) में मोतियाबिंद की सर्जरी के लिए अंतरिम जमानत दी गई थी। इससे पहले, दिसंबर 2024 में भी उन्हें इसी तरह की अस्थायी राहत मिली थी।
2019 में सुनाई गई थी उम्रकैद
दिसंबर 2019 में निचली अदालत ने सेंगर को बलात्कार मामले में दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। अदालत ने सीबीआई को निर्देश दिया था कि पीड़िता और उसके परिवार की पूरी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। सजा सुनाते वक्त अदालत ने कहा था कि एक चुने हुए जनप्रतिनिधि के तौर पर लोगों ने सेंगर पर भरोसा किया था, जिसे उसने अपने घिनौने अपराध से तोड़ दिया।