वह मैकेनिकल इंजीनियर, जिनके द्वारा किया गया था टाटा 407 डिजाइन, अब UP पुलिस में मिला ये बड़ा पद

रिर्पोट- आशीष चौरसिया 
उत्तर प्रदेश,उत्तर प्रदेश के कार्यवाहक डीजीपी के पद पर राजकुमार विश्वकर्मा की नियुक्ति होने से  पुलिस महकमे में उनके पूर्व कार्यों की चर्चा हो रही है। यूपी के कार्यवाहक डीजीपी का कार्यभार संभालने वाले डॉ आरके विश्वकर्मा इंजीनियरिंग बैकग्राउंड से आते हैं। इंजीनियर रहते हुए उन्होंने सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास की और आईपीएस बने।
आईपीएस बनने से पहले उन्होंने टाटा मोटर्स को अपनी सेवाएं दी हैं उस दौरान टाटा की मशहूर भारवाहक गाड़ी टाटा 407 की डिजाइनिंग का कार्य उन्होंने किया। इसके अलावा वे विदेश की पुलिसिंग को भी निकट से देख चुके हैं। उनके यूपी डीजीपी बनने के बाद से माना जा रहा है कि उनके अनुभवों का लाभ प्रदेश की पुलिस को मिल सकता है।
डॉ. आरके विश्वकर्मा का जन्म 10 मई 1963 में हुआ था। वह मूल रूप से जौनपुर के रहने वाले हैं। शुरुआती पढ़ाई उन्होंने जौनपुर से ही की।
आईआईटी में चयन होने के बाद उन्होंने रुड़की से मैकेनिकल इंजिनियरिंग में स्नातक करने के बाद दिल्ली आईआईटी से कम्प्यूटर साइंस में मास्टर्स की डिग्री हासिल की। दिल्ली आईआईटी से ही उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में पीएचडी किया।
टाटा 407 डिजाइन की
इंजिनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह करीब ढाई वर्ष तक टाटा के साथ जुड़े रहे। इस दौरान टाटा की मशहूर गाड़ी टाटा 407 को डिजाइन किया।
1988 में उनका भारतीय पुलिस सेवा में चयन हो गया। एएसपी के रूप में उनकी शुरुआती तैनाती इलाहाबाद और लखनऊ जैसे बड़े जिलों में रही। फिर एसपी व एसएसपी के रूप में कई जिलों और एसएसपी एसटीएफ के पद पर भी तैनात रहे।
वहीं डीआईजी रेंज के रूप में लखनऊ और मेरठ रेंज में तैनाती रही। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के दौरान वह बीएसएफ और सीआरपीएफ में तैनात रहे। उन्होंने लंबे समय तक आईजी एलओ की भी जिम्मेदारी संभाली।
कम्प्यूटर से सबसे अधिक दोस्ती
डीजीपी आरके विश्वकर्मा को खाली समय में सबसे ज्यादा कम्प्यूटर और हाईटेक गैजेट्स का अधिक साथ भाता है। इसके अलावा उन्हें बागवानी का भी शौक है।
उनके परिवार में पत्नी, एक बेटा और बेटी है। पत्नी एसएन पीजी कॉलेज में लॉ शिक्षिका थीं। अब उन्होंने वीआरएस ले लिया है। बेटी अंकिता राज नोएडा में एमिटी यूनिवर्सिटी में प्रफेसर है। जबकि बेटा ईशान इलेक्ट्रिक इंजिनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है। डॉ. विश्वकर्मा के दामाद मनीष वर्मा नोएडा में डीएम के पद पर तैनात हैं।
समाज और लोगों के लिए नहीं किया कोई यादगार काम
रिटायरमेंट होने से 2 माह पहले कार्यवाहक डीजीपी के पद पर भले ही आरके विश्वकर्मा को नियुक्त किया गया हो, लेकिन उनके डीजीपी बनने से क्षेत्र में और उनके विश्वकर्मा समाज में कोई खुशी नहीं है, इसकी खास वजह यह भी है कि आरके विश्वकर्मा द्वारा समाजिक परिवेश एवं अपने विश्वकर्मा समाज के लिए कोई भी विशेष कार्य नहीं किया गया है,
आरके विश्वकर्मा अपने परिवार को भले ही शीर्ष पर पहुंचा दिए हो लेकिन अपने क्षेत्र या अपने समाज में उन्होंने किसी को भी लाभ नहीं दिया है, आरके विश्वकर्मा जहां भी तैनात रहे हैं वहां के ना तो उनके साथी उनको याद रखे हैं, ना ही उनके द्वारा कोई विशेष उल्लेखनीय कार्य किया गया है, जिसके चलते किसी के भी दिल में अपने लिए विशेष स्थान बनाने में नाकाम रहे।
विदेशी पुलिस के साथ किया काम
डॉ. विश्वकर्मा ने इस्राइल पुलिस, न्यू यॉर्क पुलिस, जापान पुलिस के साथ प्रशिक्षण हासिल किया है।
इसके अलावा बोस्निया में ओवर फंक्शनिंग ऑफ इंटरनैशनल पुलिस का प्रशिक्षण हासिल किया है। विदेश में उनके किए गए कार्यों को देखते हुए उनके अनुभवों का लाभ यूपी पुलिस को मिलने की भी बात कही जा रही है।
यूपी पुलिस इस समय आधुनिकीकरण के दौर से गुजर रही है। ऐसे में विदेशी पुलिसिंग के अनुभवों को वे अपने साथियों के साथ साझा कर उसे यहां लागू कराने का प्रयास कर सकते हैं।
राजनीतिक तंज 
 कार्यवाहक डीजीपी बनने के बाद वे काफी चर्चा में आ गए हैं। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव  ने उनकी नियुक्ति से अपराधियों  के बीच खुशी का माहौल  होने की बीत कहकर तंज कसने का कार्य किया।

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