370 हटाए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज, पांच जजों की पीठ करेगी फैसला

KNEWS DESK- आज यानी 11 दिसंबर को 370 हटाए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट फैसला करेगा। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ आज फैसला करेगी। सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि भारत सरकार का तब का फैसला संविधान के आईने में किस हद तक सही था? ऐसे में यह सही समय है याद करने को कि तब किन राजनीतिक दलों ने इस बिल का समर्थन और किन्होंने इसका विरोध किया था।

5 अगस्त को राज्यसभा में अनुच्छेद 370 को बेअसर करने को लेकर लाए गए भारत सरकार के प्रस्ताव और राज्य पुनर्गठन बिल को लंबी बहस के बाद ऊपरी सदन से पारित करा लिया गया। समर्थन में 125 तो विरोध में 61 सांसदों ने वोटिंग की थी। वहीं अगले दिन 6 अगस्त को लोकसभा में यह प्रस्ताव और विधेयक चर्चा के लिए रखा गया। दिन भर की बहस के बाद जम्मू कश्मीर को 2 केंद्र शासित प्रदेश में विभाजित करने वाला बिल यहां 370 के समर्थन से पारित हो गया। विरोध में इसके 70 लोगों ने मतदान किया था। वहीं 370 को लगभग निरस्त करने और राज्य को मिले विशेषाधिकार को छीनने वाले प्रस्ताव को निचले सदन में 351 सांसदों का साथ मिला जबकि 72 सांसदों ने सरकार के कदम को अनुचित बताते हुए रिजॉल्यूशन के खिलाफ मतदान किया था।

भारतीय जनता पार्टी की सरकार को तब कुछ ऐसे भी दलों का साथ मिला था जो परंपरागत तौर पर बीजेपी की पार्टी लाइन के खिलाफ वोटिंग करते रहे हैं या फिर वह थोड़ा तटस्थ रुख अपनाते हैं। मायावती की बहुजन समाज पार्टी, अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी, नवीन पटनायक की बीजू जनता दल, जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस, एन चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी, के चंद्रशेखर रॉव की तेलंगाना राष्ट्र समिति (अब की भारत राष्ट्र समिति) ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को लेकर लाए गए बिल का समर्थन किया था। इनके अलावा ऑल इंडिया अन्ना द्रमुक यानी एआईएडीएमके, शिवसेना, शिरोमणी अकाली दल ने भी सरकार का साथ दिया था।

भारत सरकार के कदम का विरोध करने वाली सबसे प्रमुख राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस थी लेकिन समय के साथ कांग्रेस पार्टी का इस मुद्दे पर पुराना स्टैंड थोड़ा नरम पड़ता चला गया। कांग्रेस के अलाव ज्यादातर जम्मू कश्मीर के क्षेत्रीय दल जिनमें नेशनल कांफ्रेंस, पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), पीपल्स कांफ्रेंस ने पुरजोर तरीके से भारत सरकार के इस फैसले को असंवैधानिक करार दिया था। साथ ही सीपीआई, सीपीआईएम, डीएमके, एमडीएमके और राष्ट्रीय जनता दल ने भी बेधड़क बिल के खिलाफ वोटिंग की थी।

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