सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो केस में 11 दोषियों की याचिका ठुकराई, 4 से 6 सप्ताह का मांगा था समय

KNEWS DESK- सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो केस में 11 दोषियों की याचिका को खारिज कर दिया है। आपको बता दें कि इस याचिका में बिलकिस बानो केस के दोषियों ने सरेंडर की अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है।

8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने 11 दोषियों की रिहाई से जुड़ा गुजरात सरकार का फैसला रद्द किया था। कोर्ट ने सभी को 2 सप्ताह में समर्पण करने को कहा था। इस हिसाब से उन्हें 21 जनवरी को सरेंडर कर वापस जेल जाना है। इन दोषियों में से तीन ने निजी कारणों का हवाला देते हुए 4 से 6 सप्ताह का अतिरिक्त समय मांगा था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दिया। उनकी याचिकाओं को खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि दोषियों ने आत्मसमर्पण की तारीख टालने के लिए जिन कारणों का हवाला दिया है, उनमें कोई दम नहीं है।

किस आरोपी ने मांगी थी कितनी मोहलत

दरअसल, गुजरात के चर्चित बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी 2024 को अहम फैसला सुनाया था। जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने बिलकिस बानो केस में 11 दोषियों को बरी करने के गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था। इतना ही नहीं SC ने अपने फैसले में दोषियों को दो हफ्ते में सरेंडर करने के लिए कहा था। इसी को लेकर 11 दोषियों में से तीन ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दाखिल कर समर्पण की अवधि बढ़ाने की मांग की थी। कोर्ट से गोविंद नाई ने 4 सप्ताह, जबकि मितेश भट्ट और रमेश चांदना ने 6 सप्ताह की मोहलत मांगी थी। इन दोषियों ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला दिया था।

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क्या है बिलकिस बानो केस?

दरअसल, 2002 में गुजरात में गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के कोच को जला दिया गया था। इसके बाद गुजरात में दंगे फैल गए थे। इन दंगों की चपेट में बिलकिस बानो का परिवार भी आ गया था। मार्च 2002 में भीड़ ने बिलकिस बानो के साथ रेप किया था। तब बिलकिस 5 महीने की गर्भवती थीं। इतना ही नहीं, भीड़ ने उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या भी कर दी थी। बाकी 6 सदस्य वहां से भाग गए थे। सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में 11 को दोषी ठहराया था और उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इनमें से एक दोषी ने गुजरात हाईकोर्ट में अपील दायर कर रिमिशन पॉलिसी के तहत उसे रिहा करने की मांग की थी। गुजरात हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। इसके बाद दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गुजरात सरकार से फैसला लेने के लिए कहा था। इसके बाद गुजरात सरकार ने रिहाई पर फैसला करने के लिए कमेटी का गठन किया था। कमेटी की सिफारिश पर गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों को रिहा कर दिया था।

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