सुप्रीम कोर्ट ने Places of Worship Act पर केंद्र को 4 हफ्ते में हलफनामा दायर करने का दिया आदेश, मंदिर-मस्जिद से संबंधित याचिकाओं पर लगाई रोक

KNEWS DESK – सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 के कुछ प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। इस मामले में अदालत ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है और चार हफ्ते में हलफनामा दायर करने को कहा है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि इस मामले की अगली सुनवाई तक मंदिर-मस्जिद से संबंधित कोई नई याचिका स्वीकार नहीं की जाएगी।

क्या है Places of Worship Act?

पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991, भारतीय संसद द्वारा पारित एक कानून है, जो पूजा स्थलों के स्वरूप में बदलाव की मांग करने या किसी स्थल पर फिर से दावा करने से रोकता है। इस कानून का उद्देश्य 15 अगस्त 1947 को प्रचलित पूजा स्थलों के स्वरूप को बनाए रखना है। यह कानून किसी भी मंदिर, मस्जिद या अन्य धार्मिक स्थल पर उस समय से पहले के रूप में बदलाव की अनुमति नहीं देता।

SC to hear petitions challenging the places of worship act on October 11

सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक इस मामले पर पूरी सुनवाई नहीं हो जाती, तब तक किसी भी अदालत में मंदिर या मस्जिद से जुड़ा कोई नया मामला दाखिल नहीं किया जा सकेगा। इसके साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि पहले से लंबित मामलों में निचली अदालतें कोई प्रभावी और अंतिम फैसला नहीं लेंगी, जिसमें विवादित स्थल का सर्वे भी शामिल है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि केंद्र सरकार अपना हलफनामा दाखिल करे और सभी पक्षकारों को उसकी कॉपी उपलब्ध कराए। इसके बाद सभी पक्षकारों को इस हलफनामे पर अपना जवाब दाखिल करने का अवसर मिलेगा।

केंद्र सरकार से जवाब की मांग

सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र से पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 के कुछ प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं में हलफनामा दायर करने को कहा है। अदालत ने यह भी साफ कर दिया कि जब तक सुप्रीम कोर्ट इस मामले का निपटारा नहीं कर लेता, तब तक देश में इस संबंध में कोई नया मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकेगा।

सॉलिसिटर जनरल का बयान

केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार इस मामले में हलफनामा दायर करेगी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक सरकार का जवाब नहीं आ जाता, तब तक वे इस मामले पर सुनवाई नहीं कर सकते हैं। अदालत ने सरकार को चार हफ्ते का समय दिया है और सभी पक्षकारों को हलफनामे की कॉपी देने का निर्देश दिया है।

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