KNEWS DESK- बांग्लादेश में जारी हिंसा ने देश की सुरक्षा स्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित कर दिया है| हाल के दिनों में, सरकार, जनता, अधिकारी, जज और अब सेना सभी पर हमलों की घटनाएं बढ़ गई हैं| ताजा घटना में, गोपालगंज में सेना की गाड़ी पर हमला हुआ, जिसमें सेना के जवानों, पत्रकारों और स्थानीय लोगों सहित 15 लोग घायल हो गए| इस हमले में दो लोगों को गोली लगी है|
सेना पर हमला: गोपालगंज में स्थिति तनावपूर्ण
बीती शाम को गोपालगंज इलाके में हजारों की संख्या में अवामी लीग के समर्थक और स्थानीय लोग पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की वापसी की मांग को लेकर सड़क पर उतर आए| प्रदर्शनकारियों ने ढाका-खुलना राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया। सेना की गाड़ी को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए वहां भेजा गया, लेकिन जब जवानों ने प्रदर्शनकारियों से सड़क खोलने की अपील की, तो भीड़ ने उन पर ईंटें फेंकना शुरू कर दिया। इसके बाद, सेना के जवानों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठियां भांजी। प्रदर्शनकारियों ने जवाब में सेना के वाहन में तोड़फोड़ की और उसे आग लगा दी| लेफ्टिनेंट कर्नल मकसुदुर रहमान ने घटना की पुष्टि की और कहा कि करीब 3,000 से 4,000 लोगों ने सड़क जाम कर दी थी| इस हमले में कई सेना के जवान घायल हुए हैं, और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए गोलीबारी की गई, जिसमें एक बच्चे समेत दो लोगों को गोली लगी|
भारत-बांग्लादेश सीमा पर बढ़ी सतर्कता
बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा को देखते हुए, असम पुलिस ने भारत-बांग्लादेश सीमा पर हाई अलर्ट जारी किया है। पुलिस महानिदेशक जी.पी. सिंह ने कहा- केंद्र ने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने की किसी को अनुमति नहीं दी जाएगी|
हिंदुओं पर हमले: अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा की चिंता
बांग्लादेश में हिंदुओं को भी निशाना बनाया जा रहा है| कई मंदिरों को आग लगा दी गई है और अल्पसंख्यक समुदायों पर हमलों की घटनाएं बढ़ गई हैं| अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने शनिवार को इन हमलों की निंदा की और अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की| बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद और बांग्लादेश पूजा उद्यापन परिषद के अनुसार, शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार के पतन के बाद से 5 अगस्त को, बांग्लादेश के 53 जिलों में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ कम-से-कम 205 हमलों की घटनाएं दर्ज की गई हैं|