KNEWS DESK- दिवाली के दिन उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी जिले में सिलक्यारा टनल की खुदाई चल रही थी। खुदाई के दौरान टनल का एक हिस्सा ढेह जाने से सुरंग में 41 मजदूर फंस गए। एक्सपर्ट भले ही इसे प्रकृति और साइंस की अनदेखी बता रहे हैं लेकिन स्थानीय लोग सुरंग हादसे को दैवीय प्रकोप बता रहे हैं दरअसल बात ये है कि सिलक्यारा सुरंग के ठीक ऊपर जंगल में बौख नाग देवता का मंदिर था जिसे कम्पनी ने तोड़ दिया था जिसके बदले में टनल के पास देवता का मंदिर बनाने का दावा किया था लेकिन 2019 से अभी तक मंदिर नहीं बनाया था स्थानीय लोगों ने कई बार अधिकारियों को इसकी याद भी दिलाई लेकिन किसी ने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया।
जब टनल हादसा हुआ तब लोगों ने इसे बाबा का प्रकोप बताया जिसके बाद अस्थाई मंदिर स्थापित किया गया और बाबा का आशीर्वाद लेकर रेस्क्यू ऑपरेशन को आगे बढ़ाया गया साथ ही बाबा के मंदिर को पहले वाली जगह पर भी स्थापित किया गया। आपको बता दें कि बाबा बौख नाग सिलक्यार सहित क्षेत्र की तीन पत्तियों के ईष्ट देवता हैं मंदिर के अंदर भगवान नागराज की प्रतिमा है ऐसी मान्यता है कि बाबा बौख नाग इस इलाके के रक्षक हैं जब ये बात सामने आई तो मंदिर की स्थापना की गई और सीएम धामी ने बाबा की पूजा की और रेस्क्यू ऑपरेशन की सफलता की प्रार्थना की यही नहीं 27 नवंबर को सुरंग के ठीक बाहर स्थित बाबा बौख नाग मंदिर के पीछे स्थानीय लोगों को पानी से बनी एक ऐसी आकृति दिखी जिसे देख उन्होंने दावा किया कि यह भगवान शिव की आकृति है इसकी तस्वीर और वीडियो देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल हुई स्थानीय लोगों का कहना है कि भगवान शिव ने खुद रेस्क्यू Workers को इस रूप में आशीर्वाद दिया है ताकि वह जल्द से जल्द श्रमिकों को सही सलामत सुरंग से बाहर निकल सके और अब आज हादसे के 17 दिन टनल से मजदूरों को सही सलामत बाहर निकाले जाएंगे।
ये भी पढ़ें- ब्लैक ड्रेस में पोज देती नजर आईं सारा अली खान, किलर लुक ने सोशल मीडिया पर मचाया बवाल