‘वो मीडिया से कह रही थीं प्रदर्शनी मत लगाइए…,’ शहीद कैप्टन की बिलखती मां संग फोटो खिंचवाने के मामले पर बोले योगेंद्र उपाध्याय

KNEWS DESK-  शहीद कैप्टन शुभम गुप्ता के परिवार को आगरा में चेक सौंपने गए यूपी सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय विवादों में हैं। अब मंत्री ने वायरल वीडियो को लेकर सफाई दी है। मंत्री ने उस दिन के पूरे घटनाक्रम के बारे में जानकारी दी और विपक्ष पर राजनीति करने का आरोप लगाया है। मंत्री उपाध्याय ने  कहा, उस परिवार (शहीद कैप्टन) से मेरे पुराने संबंध हैं लेकिन एक कांग्रेस नेता ने मामले को गलत ढंग से पेश कर दिया और मीडिया ने बिना पक्ष जाने वीडियो वायरल कर दिया। यह थोड़ा अफसोस की बात है।

आगरा में मंत्री योगेंद्र उपाध्याय (टोपी लगाए हुए) ने शहीद कैप्टन के परिवार को चेक सौंपा था.

मिर्जापुर आए मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने यहां प्रस्तावित विश्वविद्यालय की जमीन का निरीक्षण किया। उसके बाद मीडिया से बातचीत की। उन्होंने आगरा में शहीद शुभम गुप्ता के घर चेक लेकर पहुंचने और उस पर विवाद को लेकर अपनी सफाई दी। उन्होंने कहा, हम उनकी पत्नी (कैप्टन शुभम की मां) से मिलने नहीं गए थे. बल्कि वो परिवार मेरा बहुत करीबी है. मैंने उस बच्चे को बचपन से खिलाया है. रात साढ़े 10 बजे मुझे शहीद के बारे में खबर मिली, तब एक सुदूर गांव में था. मैं वहां से तुरंत निकला और रात 2 बजे शहीद कैप्टन के घर पहुंचा. उस परिवार से इतना ज्यादा लगाव है।

उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री जी ने श्रद्धांजलि के रूप में परिवार को 25-25 लाख रुपए दो चेक भेजे थे। एक शहीद की मां के नाम और दूसरा शहीद के पिता को दिया जाना था. सीएम ने यह भी कहा था कि एक सरकारी नौकरी देंगे। किसी भी सड़क का नामकरण भी किया जाएगा।

मंत्री का कहना था, मुझे सुबह एसडीएम ने कहा कि ये दोनों चेक आपको पहुंचाने हैं और नौकरी-सड़क नामकरण के बारे में भी पूछना है।मैंने वहां शहीद कैप्टन के पिता से एकांत में कहा कि ये दो चेक आए हैं आपके और श्रीमति जी के नाम. मुझे जगह बता दीजिए कि कौन-सी रोड को आप प्रिविलेज देंगे.  प्रायोरिटी देंगे और सरकारी नौकरी के लिए घर के किस व्यक्ति को नामित करना चाहेंगे. शहीद कैप्टन के पिता ने कहा कि मैं अपनी पत्नी (कैप्टन शुभम गुप्ता की मां) को बुला लेता हूं. मैंने कहा भी कि उनकी मानसिक हालत ठीक नहीं होगी. वो बाहर आने की स्थिति में होंगी? इस पर परिजन ने कहा कि वो तीन दिन से अंदर बंद हैं. कमरे में रो रही हैं. उनको अंदाजा ही नहीं है कि उनके बेटे ने कितना बड़ा काम किया है। पूरा शहर उमड़ रहा है, उनको नमन और वंदन करने के लिए… अगर इसी बहाने बाहर आएंगी और देखेंगी तो उनको गर्व होगा. अवसाद से भी मुक्ति मिलेगी. परिजन ।

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