रूस के राष्ट्रपति पुतिन G-20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने नहीं आएंगे भारत, जानिए क्यों?

KNEWS DESK… देश की राजधानी दिल्ली में अगले महीने होने वाले G-20 शिखर सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शामिल नहीं होंगे. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने इसकी पुष्टि की है. पुतिन आखिरी बार 2019 में जापान में G-20 शिखर सम्मेलन में व्यक्तिगत रूप से शामिल हुए थे.

दरअसल आपको बता दें कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने 2020 में रियाद और 2021 में रोम में आयोजित शिखर सम्मेलन में भी वर्चुअली भाग लिया। रूसी राष्ट्रपति बाली में 2022 शिखर सम्मेलन में भी मौजूद नहीं थे। पुतिन की जगह विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव नई दिल्ली आएंगे. शिखर सम्मेलन 9 और 10 सितंबर 2023 को होगा.

जानकारी के लिए बता दें कि BRICS शिखर सम्मेलन 22 से 24 अगस्त तक दक्षिण अफ्रीका में आयोजित किया गया था। इसमें व्लादिमीर पुतिन ने भी हिस्सा नहीं लिया. उनकी जगह विदेश मंत्री लावरोव शामिल हुए थे. इस समिट में पुतिन के शामिल होने पर आखिरी वक्त तक सस्पेंस बना हुआ था. बाद में मेजबान देश दक्षिण अफ्रीका ने खुद ही साफ कर दिया कि रूसी राष्ट्रपति जोहान्सबर्ग नहीं आएंगे.

दरअसल, मेजबान दक्षिण अफ्रीका BRICS शिखर सम्मेलन में पुतिन की भागीदारी को लेकर असमंजस में था। इसका कारण यह है कि यूक्रेन पर हमले और युद्ध अपराधों को लेकर अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय ने रूसी राष्ट्रपति के खिलाफ वारंट जारी किया है। जोहान्सबर्ग आने पर पुतिन को गिरफ्तारी का खतरा था. इसलिए दक्षिण अफ़्रीकी और रूसी सरकार के बीच एक समझौता हुआ और उसके बाद पुतिन की अनुपस्थिति के बारे में जानकारी दी गई.

रूस का दावा कि वह ICC का नहीं है सदस्य

जानकारी के लिए बता दें कि समाचार एजेंसी ‘रॉयटर्स’ की रिपोर्ट के अनुसार- पुतिन के खिलाफ युद्ध अपराधों को लेकर इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट में मामले दर्ज किए गए हैं. अगर वह जोहान्सबर्ग आते तो सदस्य देश होने के नाते दक्षिण अफ़्रीकी सरकार को पुतिन को गिरफ़्तार करना पड़ता. इसका कारण यह है कि अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय को लेकर सभी देशों के बीच एक संधि है. रूस की ओर से भले ही आधिकारिक तौर पर इस वजह का जिक्र नहीं किया गया हो, लेकिन पुतिन के नई दिल्ली न आने की वजह भी यही है. ICC ने इसी साल मार्च में पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. उन पर यूक्रेन पर आक्रमण के दौरान यूक्रेनी बच्चों को अवैध रूप से रूस निर्वासित करने का आरोप है. दूसरी ओर, रूस का दावा है कि वह ICC का सदस्य नहीं है, तो पुतिन के खिलाफ वारंट भी अवैध माना जाएगा.

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