रिपोर्ट – आशीष यादव
मुज़फ्फरनगर – तीस वर्षो के लम्बे इंतज़ार के बाद रामपुर तिराहा कांड मामले में उत्तराखंड आंदोलनकारियों को राहत देने वाली ख़बर सामने आई है। मुज़फ्फरनगर की अदालत ने पीएसी के दो सिपाहियों पर दोष सिद्ध करते हुए आजीवन कारावास के साथ अर्थदंड के रूप में 50-50 हज़ार रूपये का जुर्माना लगाते हुए सज़ा सुनाई हैं। कोर्ट ने ये भी माना कि ये घटना देश को झंझोड़ कर रख देने वाली घटना थी।
आर्थिक दंड के साथ आजीवन कारावास की सज़ा
बता दें कि रामपुर तिराहा कांड में सामूहिक दुष्कर्म, लूट, छेड़छाड़ और साजिश रचने के मामले में अदालत ने 30 वर्षों के लम्बे इंतज़ार के बाद आखिरकार अपना फैसला सुनाया हैं। 15 मार्च को दोष सिद्ध करने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखने के बाद आज की तारीख़ नियत की थी। जिसमे कोर्ट ने रामपुर तिराहा कांड में दोनों पीएसी के सिपाहियों को दोषी ठहराते हुए उन्हें 50-50- हज़ार रूपये के आर्थिक दंड के साथ आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई हैं। अपर जिला एवं सत्र न्यायालय संख्या-7 के पीठासीन अधिकारी शक्ति सिंह ने सुनवाई के दौरान इस काण्ड को जलियांवाला कांड जैसा बताया, जिसने देश को झंझोड़ कर रख दिया था। उन्होंने इस दौरान यूपी पुलिस की प्रशंसा करते हुए कहा कि देश के सबसे बड़े राज्य की पुलिस अपनी सेवाओं पर अग्रणी रहती हैं, जिसमें इन दोनों पुलिस कर्मियों ने बदनाम करने का काम किया हैं। न्यायालय ने यह भी माना हैं कि दोषी दोनों सिपाहियों का आचरण सहानुभूति के लायक नहीं हैं।
संपूर्ण धनराशि पीड़िता को दिए जाने के भी आदेश
शासकीय अधिवक्ता फौजदारी राजीव शर्मा ने और सहायक शासकीय अधिवक्ता फौजदारी परवेंद्र सिंह ने बताया कि सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक दारा सिंह मीणा और उत्तराखंड संघर्ष समिति के अधिवक्ता अनुराग वर्मा, सीबीआई बनाम मिलाप सिंह की पत्रावली में सुनवाई पूरी हो चुकी है। अभियुक्त मिलाप सिंह और वीरेंद्र प्रताप सिंह पर दोष सिद्ध हुआ था। जिसमें न्यायालय द्वारा आज सज़ा सुनाई गई हैं। सीबीआई की और से कुल 15 गवाह पेश किए गए। दोनों अभियुक्तों पर धारा 376 जी, 323, 354, 392, 509 व 120 बी में दोष सिद्ध हुआ था। कोर्ट ने दोषी मिलाप सिंह और वीरेंद्र प्रताप को अर्थदंड एक लाख रुपये लगाने के साथ आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई हैं। जिसमे न्यायालय ने अर्थदंड की संपूर्ण धनराशि पीड़िता को दिए जाने के भी आदेश दिए हैं।
क्या है रामपुर तिराहा कांड
आपको बता दें कि घटना एक अक्टूबर, 1994 की रात की हैं। जब अलग राज्य की मांग के लिए देहरादून से बसों में सवार होकर आंदोलनकारी दिल्ली के लिए निकले थे। इनमें महिला आंदोलनकारी भी शामिल थीं। रात करीब एक बजे रामपुर तिराहा पर बसों को रोका गया। दोनों दोषियों ने बस में चढ़कर महिला आंदोलनकारी के साथ छेड़छाड़ और दुष्कर्म किया। जिसमें कोर्ट में आज दोनों आरोपियों को दोषी करार देते हुए ये सज़ा सुनाई हैं। दोनों दोषी आरोपी उस समय पीएसी गाजियाबाद में तैनात थे, सिपाही मिलाप सिंह मूल रूप एटा के निधौली कलां थाना क्षेत्र के होरची गांव का रहने वाला है। तथा दूसरा आरोपी सिपाही वीरेंद्र प्रताप मूल रूप सिद्धार्थनगर के थाना पथरा बाजार के गांव गौरी का रहने वाला है।