KNEWS DESK….विदेशी मामलों के जानकारों का कहना है की जापान समेत काफी देश परमाणु अप्रसार संधि को समूची दुनिया में परमाणु संपन्न देशों के साथ लागू करना चाहते हैं|क्योंकि भारत प्रारंभ से ही परमाणु अप्रसार संधि को भेदभाव पूर्ण मानता आया है,और अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम को शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए ही अपनाने की बात करता है|
अटल बिहारी वाजपेई और इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में हुए पोखरण परमाणु विस्फोटों के बाद पहली बार देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान के हिरोशिमा जा रहे हैं|आपको बता दें, कि इसी के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जी7 देशों के राष्ट्राध्यक्ष और मेहमान देशों के प्रमुखों को हिरोशिमा में उन परिवारों से भी मिलवाया जाएगा, जिनके परिजन परमाणु हमले के शिकार हुए थे|वरिष्ठ राजनयिकों का कहना है, कि इसके पीछे जापान की एक मंशा यह भी हो सकती है, कि वह प्रधानमंत्री मोदी के सामने हिरोशिमा में ‘इमोशनल ग्राउंड’ पर परमाणु अप्रसार संधि की भूमिका बनाए|वैसे तो भारत ने पहले से ही अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह कहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्य के लिए है| प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जापान दौरे के साथ भारत और जापान के बीच व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देने की उम्मीदें सामने आ रही हैं|
हिरोशिमा पहुंचने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे|उनके बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दूसरे पीएम है,जो जापान जा रहे है| विदेशी मामलों के जानकार कहते हैं कि मोदी का जी-7 में शिरकत करना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की बढ़ रही महत्ता की निशानी ही है|उन्होंने आगे कहा कि बीते कुछ सालों में भारत ने जिस तरीके से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकसित देशों में धाक जमाते हुए समूची दुनिया में ख्याति अर्जित की है, उससे पूरी दुनिया की निगाहें भारत की ओर लगी हुई हैं|वरिष्ठ राजनयिकों का कहना है,प्रधानमंत्री मोदी हिरोशिमा में रहेंगे, क्योंकि हिरोशिमा ही एक ऐसा शहर है, जहां पर पहला परमाणु हमला हुआ था, और इसके प्रभावित परिवार आज भी उस हमले का दंश झेल रहे हैं|विदेशी मामलों के जानकारों का ने यह भी कहा है कि जापान परमाणु संपन्न देशों को हिरोशिमा में उन परिवारों से भी मिलवाने की योजना बना रहा है, जो इस हमले का दंश झेल चुके हैं|
वरिष्ठ राजनयिकों का कहना है कि जापान समेत कई देश परमाणु अप्रसार संधि को समूची दुनिया में परमाणु संपन्न देशों के साथ लागू करना चाहते हैं| क्योंकि भारत शुरुआत से ही एनपीटी को भेदभाव पूर्ण मानता आया है, और अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम को शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए ही अपनाने की बात करता है| बावजूद इसके अन्य परमाणु संपन्न देश भारत समेत दूसरे देशों के साथ इस संधि पर एकमत होने के लिए पहले भी कई प्लेटफार्म पर बातचीत करते आए हैं| विदेशी मामलों के जानकारों कहना है कि पहली बार हिरोशिमा में पीएम मोदी पीस मेमोरियल हॉल भी पहुंच रहे हैं| जो हिरोशिमा में परमाणु हमले में मारे गए लोगों और उसके बाद की बर्बादी का दंश झेल रहे परिवारों की याद में तैयार किया गया है| यह भी कहा जा रहा है कि जापान इमोशनल ग्राउंड पर ही दुनिया के परमाणु संपन्न देशों को एनपीटी के लिहाज से एकमत होने का संदेश भी देने की कोशिश भी करेगा|
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिरोशिमा में जी-7 देशों की बैठक में शुक्रवार सुबह शामिल होने जा रहे हैं| अनेक बैठकों के बाद पीएम मोदी जापान के प्रधानमंत्री के साथ दोनों पक्ष में बात करंगे| हिरोशिमा में मोदी महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण भी करेंगे| जापान के साथ पूरब के देशों में अपनी सेवाएं दे चुके विदेश सेवा के अधिकारी एसएन प्रकाश का कहना है कि जापान भारत को अपना बड़ा व्यावसायिक पार्टनर बनाने की दिशा में पहले भी कई कदम उठा चुका है| उनका कहना है कि जी7 के देश कभी पूरी दुनिया की 64 फीसदी विश्व की अर्थव्यवस्था पर अपनी हिस्सेदारी रखते थे| लेकिन बदलते हालात और भारत जैसे विकासशील देशों की बढ़ती रफ्तार से जी7 देशों की यह हिस्सेदारी घटकर 37 फीसदी से भी कम के करीब ही रह गई है| इन देशों के लिए यह बड़ी चुनौती भी है, और आर्थिक नजरिए से इसको बढ़ाने का प्रयास भी हैं|
इसी कारण से जापान में शुरू होने वाले जी7 देशों की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री की दोनों पक्षों की वार्तालाप बहुत जरुरी मानी जा रही है| वरिष्ठ राजनयिकों का मानना है कि भारत के साथ जापान अपने व्यापारिक क्षेत्र और निवेश को बढ़ाना चाहता है| आंकड़ों के अनुसार इस वक्त भारत में जापान की ओर से सालाना तकरीबन 6 बिलियन डॉलर का निवेश किया जा रहा है| इस निवेश को जापान और कई गुना बढ़ाकर भारत के साथ व्यापारिक संधि को मजबूत करके अपने रिश्ते मजबूत करने का इच्छुक है|कहा तो यह भी जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ होने वाली द्विपक्षीय वार्ता में जापान भारत के साथ और बेहतर आर्थिक और सांस्कृतिक रिश्तो की नींव को मजबूत करेगा|
इसके अन्य जापान फ्री एंड ओपन इंडो पैसिफिक विकास के लिहाज से 75 बिलियन डॉलर के निवेश की और तैयारी कर रहा है|फॉरेन ट्रेड एक्सपर्ट बोर्ड के डायरेक्टर अनुज बाधवा का कहना है कि जापान जिस तरीके से इंडो पेसिफिक रीजन में म्यांमार, थाईलैंड के साथ त्रिपक्षीय राजमार्ग और अन्य मल्टीमॉडल परियोजनाओं को जोड़ने की तैयारी कर रहा है, उसके केंद्र में न सिर्फ भारत है, बल्कि भारत के साथ पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश को भी आर्थिक दृष्टिकोण से निवेशक के रूप में देखा जा रहा है| फॉरेन ट्रेड एक्सपर्ट का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जी7 में शिरकत करने से भारत को दुनिया के सात बड़े मुल्कों और सामने बढ़ती हुई ताकत पर देखा जाना चाहिए|