knews desk, देशभर के उन सभी स्कूलों में जहां पर एनसीईआरटी की किताबें चलती हैं, वहां के सिलेबस में किए गए बदलाव लागू किए जाएंगे. इसमें CBSE और उत्तर प्रदेश बोर्ड भी शामिल है. सिलेबस में किया गया बदलाव मौजूदा शैक्षणिक सत्र यानी 2023-24 से ही लागू हो जायेगा. बता दें इस नए सिलेबस में कई महान कवियों की रचनाएं भी हटा दी गई हैं, जिसको लेकर यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने आपत्ति जताई है.
उन्होंने ट्वीट किया- ‘राम की शक्तिपूजा’ जैसी कालजयी रचना के लेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ जी की एक रचना को NCERT के पाठ्यक्रम से हटाया जाना अत्यंत आपत्तिजनक है. बीजेपी सरकार स्पष्टीकरण दे और तुरंत उत्तर प्रदेश के अन्य कवियों की भी हटाई गई रचनाओं को फिर से शामिल करवाए. NCERT ने 12वीं कक्षा के लिए इतिहास, नागरिक शास्त्र और हिन्दी के सिलेबस में जो बदलाव किए हैं.
‘राम की शक्तिपूजा’ जैसी कालजयी रचना के लेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' जी की एक रचना को NCERT के पाठ्यक्रम से हटाया जाना अत्यंत आपत्तिजनक है।
भाजपा सरकार स्पष्टीकरण दे और तुरंत उप्र के अन्य कवियों की भी हटायी गयी रचनाओं को फिर से शामिल करवाए।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) April 4, 2023
हिंदी में जो बदलाव किए गए हैं, उनमें हिन्दी आरोह भाग-2 की किताब से फिराक गोरखपुरी की गजल और अंतरा भाग दो से सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की गीत गाने दो मुझे को हटा दिया गया है. इसके अलावा विष्णु खरे की एक काम और सत्य को भी हटाया गया है. नया सिलेबस स्कूलों में मौजूदा शैक्षणिक सत्र 2023-24 से लागू होगा.
एनसीईआरटी के बदलावों के तहत 12वीं के क्लास के इतिहास विषय से 16वीं और 17वीं शताब्दी के दौरान का मुगल दरबार का चैप्टर हटा दिया गया है. इसमें छात्रों को ‘अकबरनामा’ (अकबर के शासनकाल का आधिकारिक इतिहास) और ‘बादशाहनामा’ (मुगल सम्राट शाहजहाँ का इतिहास) पढ़ाया जाता था. इसके अलावा नागरिक शास्त्र की किताब से ‘विश्व राजनीति में अमेरिकी आधिपत्य और शीत युद्ध से संबंधित दो अध्यायों को हटाया गया है. इसके अलावा, स्वतंत्र भारत में राजनीति की किताब से ‘लोकप्रिय जन आंदोलन का उदय’ और ‘एक पार्टी के प्रभुत्व का काल’ अध्यायों को हटा दिया गया है. इनमें कांग्रेस के प्रभुत्व की प्रकृति, सोशलिस्ट, कम्युनिस्ट पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, भारतीय जनसंघ आदि को पढ़ाया जाता था.
इसी पर यूपी के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा है कि “हमारी संस्कृत, हमारी सांस्कृतिक विरासत है. हम अपनी नई पीढ़ी का परिचय विरासत से कराना चाहते हैं. पुराने काल में लोगों को हमारी संस्कृति से वंचित किया जा रहा था. लोगों को बताया नहीं जा रहा था. हम लोगों को असली संस्कृति के बारे में बताएंगे.'”