KNEWS DESK- उत्तराखंड के प्रसिद्ध पंचकेदारों में से एक रुद्रनाथ मंदिर के दर्शन और केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य में घूमने के इच्छुक श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए अब ऑनलाइन पंजीकरण अनिवार्य होगा। इस कदम का उद्देश्य सुरक्षा के साथ-साथ पर्यटकों और श्रद्धालुओं के अनुभव को बेहतर बनाना है। एक दिन में केवल निर्धारित संख्या में ही श्रद्धालुओं और पर्यटकों को रुद्रनाथ भेजा जाएगा, ताकि भीड़-भाड़ से बचा जा सके और यात्रा को सुरक्षित रूप से संपन्न किया जा सके।
इस दुर्गम क्षेत्र में यात्रा की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, एक निश्चित समय के बाद यात्रियों को अगले दिन यात्रा करने का इंतजार करना पड़ेगा। इस व्यवस्था से स्थानीय गांवों में पर्यटकों और श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी, जिससे इन गांवों की आय में वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा, अस्थायी टेंट लगाने के लिए स्थान चिह्नित किए जा रहे हैं, ताकि श्रद्धालुओं को आरामदायक आवास और अन्य सुविधाएं प्रदान की जा सकें।
ईडीसी द्वारा रुद्रनाथ पैदल यात्रा का संचालन
केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग द्वारा इस बार रुद्रनाथ पैदल यात्रा का संचालन ईको विकास समिति (ईडीसी) के माध्यम से किया जाएगा। यात्रा मार्ग पर श्रद्धालुओं के लिए अस्थायी टेंट और भोजन से जुड़ी सुविधाएं ईडीसी के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएंगी। इन सेवाओं के लिए शुल्क भी निर्धारित किया जाएगा, ताकि यात्रा के दौरान सभी जरूरी सुविधाएं सही तरीके से उपलब्ध हो सकें।
इस यात्रा को लेकर सिरोली, ग्वाड़ और गंगोलगांव की ईडीसी ने अपनी कार्ययोजना केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग को सौंप दी है, जबकि सगर और कुजौं-मैकोट गांवों की ओर से इसकी तैयारी की जा रही है। इन गांवों के ईडीसी को यात्रा के दौरान अस्थायी आवास के लिए वन क्षेत्र में अस्थायी टेंट लगाने के लिए स्थान चिह्नित किए जा रहे हैं।
स्थानीय गांवों को मिलेगा आर्थिक लाभ
श्रद्धालु और पर्यटक अब सिरोली, ग्वाड़, सगर, गंगोलगांव, कुजौं-मैकोट और डुमक गांवों से रुद्रनाथ और केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य की यात्रा कर सकेंगे। इस व्यवस्था से इन गांवों को न केवल पर्यटन के रूप में आर्थिक लाभ मिलेगा, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। ईडीसी के माध्यम से इन गांवों में अस्थायी आवास और अन्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी, जिससे स्थानीय स्तर पर विकास को बढ़ावा मिलेगा।
इस नए सिस्टम से यात्रा को और अधिक व्यवस्थित किया जाएगा, जिससे श्रद्धालुओं और पर्यटकों को बेहतर अनुभव मिलेगा और क्षेत्रीय विकास में भी मदद मिलेगी।
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