KNEWS DESK- मुंबई के 26/11 आतंकी हमले के मुख्य आरोपी तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण अब भारत में किया जा रहा है। वह कल, यानी 10 अप्रैल को अमेरिका से भारत लाया जाएगा। इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की एक टीम शामिल है, जो उसे भारत लाने की पूरी प्रक्रिया का नेतृत्व करेगी। सूत्रों के अनुसार, इस टीम की अगुवाई एडीजी रैंक के अधिकारी करेंगे और इसमें करीब सात सदस्य होंगे।
राणा को अमेरिका से भारत लाने के लिए NIA ने पिछले दो महीनों में अमेरिकी अधिकारियों से लगातार संपर्क बनाए रखा। इस दौरान, इंटेलिजेंस ब्यूरो, विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय के संयुक्त प्रयासों से एक टीम बनाई गई थी, जो अमेरिकी अधिकारियों से राणा के प्रत्यर्पण के बारे में संपर्क कर रही थी। अब सभी औपचारिकताएं पूरी हो गई हैं और 10 अप्रैल को तहव्वुर राणा को भारत लाया जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक, तहव्वुर राणा को पहले दिल्ली में NIA की हिरासत में रखा जा सकता है, जहां उससे पूछताछ की जाएगी। NIA ने एक विशेष टीम तैयार की है, जो राणा से 26/11 हमले और उससे जुड़ी आतंकवादी गतिविधियों पर सवाल करेगी। इसके साथ ही अन्य सुरक्षा एजेंसियां भी राणा से पूछताछ कर सकती हैं। दिल्ली में पूछताछ के बाद राणा को मुंबई भेजा जा सकता है, जहां उसके खिलाफ मामले की सुनवाई होगी।
तहव्वुर राणा ने अपने प्रत्यर्पण को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उसने आरोप लगाया था कि अगर उसे भारत भेजा गया, तो उसे वहां प्रताड़ित किया जाएगा और वह भारत में सुरक्षित नहीं रह पाएगा। हालांकि, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी और राणा को भारत प्रत्यर्पित करने की प्रक्रिया को मंजूरी दे दी।
तहव्वुर राणा 26/11 के मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड के रूप में प्रमुख आरोपी है। वह पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का सदस्य था और उसने हमले में शामिल आतंकवादियों को लॉजिस्टिक सहायता प्रदान की थी। राणा के खिलाफ भारतीय एजेंसियों द्वारा कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जिसमें आतंकवाद के वित्तपोषण और साजिश रचने का आरोप भी शामिल है।भारत में राणा के प्रत्यर्पण के बाद, उसे मुंबई में न्यायिक प्रक्रिया का सामना करना पड़ेगा। 26/11 हमले के मामले में उसकी सुनवाई चल रही है, और अब भारतीय सुरक्षा एजेंसियां उसे कानून के तहत न्याय दिलाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
इस घटनाक्रम को लेकर देशभर में काफी उम्मीदें जताई जा रही हैं, क्योंकि 26/11 के हमले के पीड़ितों को न्याय मिल सकता है। इसके अलावा, यह कदम भारत की आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ संकल्प और आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।
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