KNEWS DESK- मणिपुर, जो पिछले डेढ़ साल से हिंसा और अशांति के दौर से गुजर रहा है, एक बार फिर से तनावपूर्ण स्थिति में है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में उग्र और हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं, जिसके कारण सरकार ने कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया है और इंटरनेट सेवाओं को भी बंद कर दिया गया है। केंद्र सरकार हालात को काबू करने के लिए हर संभव कोशिशें कर रही है, लेकिन स्थिति अब भी बेकाबू दिख रही है। यहां हम मणिपुर के मौजूदा हालात को 10 प्रमुख बिंदुओं में समझते हैं:
1. हिंसा का बढ़ता सिलसिला:
मणिपुर में हिंसा एक बार फिर से विकराल रूप ले चुकी है। कुकी समुदाय और मैतेई समुदाय के बीच संघर्ष बढ़ गया है। कुकी समुदाय अपनी मांगों को लेकर हिंसा कर रहा है, जबकि मैतेई समुदाय हालिया हिंसा में एक ही परिवार के छह लोगों की हत्या के विरोध में सड़कों पर उतरा है।
2. ताजा हिंसा की शुरुआत:
मणिपुर में ताजा हिंसा की शुरुआत 12 नवंबर 2024 को जिरीबाम से हुई, जब कुकी उग्रवादियों ने सुरक्षाबलों की चौकी पर हमला किया। जवाबी कार्रवाई में कुछ उग्रवादी मारे गए, लेकिन इसके बाद इन उग्रवादियों ने 12 नवंबर को एक ही परिवार की तीन महिलाओं और तीन बच्चों को अगवा कर लिया। उनके शव 16 नवंबर को असम-मणिपुर सीमा पर पाए गए। इस घटना ने स्थिति को और खराब कर दिया, और मैतेई समुदाय ने कड़ी कार्रवाई की मांग के साथ हिंसक प्रदर्शन शुरू कर दिए।
3. केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती:
मणिपुर की हिंसाग्रस्त स्थिति को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की 50 नई कंपनियां भेजने का फैसला लिया है। इससे राज्य में कुल 268 कंपनियां तैनात हो जाएंगी, जिसमें पांच हजार अतिरिक्त जवान शामिल होंगे। इसके साथ ही, राज्य के हिंसा प्रभावित इलाकों में सुरक्षाबलों की तैनाती की संख्या 26,800 तक पहुंच जाएगी।
4. प्रदर्शनकारियों की हिंसक गतिविधियां:
प्रदर्शनकारियों ने जिरीबाम कस्बे में दो चर्चों और तीन घरों को आग के हवाले कर दिया। थांगमेइबंद में भी प्रदर्शनकारियों ने विधानसभा भवन के पास टायर जलाए, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।
5. इंटरनेट बंदी और कर्फ्यू:
हिंसा को नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार ने हिंसा प्रभावित सात जिलों में इंटरनेट सेवाओं को अगले दो दिन तक बंद करने का आदेश दिया है। साथ ही, केंद्र सरकार ने 14 नवंबर को मणिपुर के कुछ जिलों में अफ्सपा (AFSPA) लागू कर दिया है, और 16 नवंबर से इंफाल और अन्य इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया है।
6. अफ्सपा और कर्फ्यू की स्थिति:
राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार ने 14 नवंबर को अफ्सपा लागू किया था। इसके अलावा, मणिपुर के कई जिलों में 16 नवंबर से अनिश्चितकालीन कर्फ्यू भी लगा दिया गया है, ताकि हिंसा को रोका जा सके।
7. राजनीतिक उथल-पुथल:
नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को हटाने की मांग करते हुए 17 नवंबर 2024 को बीजेपी सरकार से समर्थन वापस ले लिया था।
8. बीजेपी में अंतर्विरोध:
मणिपुर में बीजेपी की इकाई में दरारें और भी गहरी हो गईं, जब 19 नवंबर 2024 को बीजेपी के 37 में से 19 विधायक, मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की अध्यक्षता में आयोजित एनडीए की बैठक में शामिल नहीं हुए। इन विधायकों में दोनों समुदायों के नेता शामिल थे।
9. कांग्रेस पर आरोप:
मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने मणिपुर में हिंसा के लिए कांग्रेस और उनके नेता पी. चिदंबरम को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि चिदंबरम और पूर्व मुख्यमंत्री ओकरेम इबोबी सिंह ने म्यांमार के प्रतिबंधित संगठन जोमी रिवोल्यूशनरी आर्मी के अध्यक्ष थांगलियानपाउ गुइते को मणिपुर बुलाया, जिससे हिंसा की स्थितियां उत्पन्न हुईं।
10. न्याय की मांग और कार्रवाई:
मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने अशांति के बीच न्याय की स्थापना और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का वादा किया है। हालांकि, उनके इस रुख के कारण कुकी समुदाय और पी. चिदंबरम जैसे नेताओं के साथ उनका टकराव हुआ है, जो उनकी नीतियों से असहमत हैं।
ये भी पढ़ें- दिल्ली में प्रदूषण से आंखों पर खतरा, मोतियाबिंद से लेकर अंधापन तक के हालात