“संसद में अपमानजनक बयान देना अपराध नहीं”, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

KNEWS DESK- सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। जी हां सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संसद में अपमानजनक बयान देना अपराध नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सदन के भीतर मानहानि का कार्य कोई अपराध नहीं है।

प्रस्ताव में कहा गया ये

सुप्रीम कोर्ट के सामने एक प्रस्ताव में कहा गया था कि संसद और विधानसभाओं में अपमानजनक बयान सहित हर तरह के काम को कानून से छूट नहीं मिलनी चाहिए। जिससे ऐसा करने वालों के खिलाफ आपराधिक साजिश के तहत दंडात्मक कानूनों को लागू किया जा सके।

प्रस्ताव के आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सदन के भीतर कुछ भी बोलने पर सांसदों-विधायकों पर कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती। संसद और विधानसभा के सदस्यों को सदन के भीतर बोलने की पूरी आजादी है।

इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला

झारखंड मुक्ति मोर्चा की विधायक सीता सोरेन के खिलाफ ‘वोट के बदले रिश्वत’ के आरोप से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस ए एस बोपन्ना, एम एम सुंदरेश, पी एस नरसिम्हा, जेबी पारदीवाला, संजय कुमार और मनोज मिश्रा की सात जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी।

सीता सोरेन पर लगा ये आरोप

सीता सोरेन पर 2012 में राज्यसभा चुनाव के लिए वोट देने के बदले रिश्वत लेने का आरोप है। सीता सोरेन ने अपने बचाव में तर्क दिया कि उन्हें सदन में ‘कुछ भी कहने या वोट देने’ के लिए संविधान के अनुच्छेद 194(2) के तहत छूट हासिल है। सीनियर एडवोकेट राजू रामचंद्रन ने सुप्रीम कोर्ट में सीता सोरेन का पक्ष रखा। उन्होंने हाल ही में लोकसभा में एक बसपा सांसद दानिश अली के खिलाफ भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी के अपमानजनक बयान का जिक्र करते हुए कहा कि वोट या भाषण से जुड़ी किसी भी चीज के लिए अभियोजन से छूट, भले ही वह रिश्वत या साजिश हो, पूरी तरह होनी चाहिए।

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सीता सोरेन के मामले का सदन की कार्यवाही से नहीं कोई मतलब

अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने सीता सोरेन के मामले को दूसरे मामलों से अलग बताया। उन्होंने कहा कि राज्यसभा चुनाव के लिए वोटिंग का सदन की कार्यवाही से कोई संबंध नहीं है। इसलिए राज्यसभा चुनाव में वोटिंग के लिए रिश्वत लेने के खिलाफ सीता सोरेन का मामला कानूनी दायरे में आता है।

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