KNEWS DESK- महाराष्ट्र में 20 नवंबर को सभी 288 विधानसभा सीटों पर एक साथ मतदान हुआ था, और अब चुनावी नतीजों के रुझान स्पष्ट होने लगे हैं। महायुति (BJP, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की NCP) को बंपर बढ़त मिलती दिख रही है, जिसके बीच एकनाथ शिंदे को एक बार फिर मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग उठने लगी है। वहीं, महाविकास अघाड़ी (MVA) में शामिल कांग्रेस, शिवसेना (UBT) और शरद पवार के नेतृत्व वाली NCP ने भी चुनाव में अपनी ताकत झोंकी थी, लेकिन रुझानों में महायुति का पलड़ा भारी नजर आ रहा है।
महायुति की शानदार बढ़त के बीच मुख्यमंत्री की मांग
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के शुरुआती रुझानों में महायुति को भारी बढ़त मिल रही है, और इस बढ़त के बीच शिवसेना सांसद नरेश म्हस्के ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग की है। म्हस्के ने कहा कि महायुति को मिली “लैंडस्लाइड विक्ट्री” को देखते हुए एकनाथ शिंदे को ही मुख्यमंत्री बनाना चाहिए। उनका कहना था, “शिवसेना कार्यकर्ता होने के नाते मैं चाहता हूं कि एकनाथ शिंदे एक बार फिर महाराष्ट्र की बागडोर संभालें।”
संजय राउत का पलटवार: ‘कुछ गड़बड़ है’
महायुति को मिल रही बंपर बढ़त के बाद महाविकास अघाड़ी (MVA) से जुड़े नेताओं ने अपनी निराशा व्यक्त की है। शिवसेना (UBT) के सांसद संजय राउत ने आरोप लगाया कि यह फैसला बीजेपी, अमित शाह, मोदी और अडानी के दबाव में लिया गया है। राउत ने कहा, “कपट किया गया है, यह संभव नहीं है कि इस तरह का फैसला हो जाए। यह जनता का फैसला नहीं है, कुछ गड़बड़ जरूर है। एकनाथ शिंदे के विधायक कैसे जीत सकते हैं? इन्होंने (बीजेपी) पूरा सिस्टम कब्जे में लिया है।”
राउत का यह बयान इस बात को लेकर था कि महायुति के उम्मीदवारों ने जिस तरह से बढ़त बनाई है, वह उनके अनुसार सामान्य स्थिति नहीं है और इसमें कुछ गड़बड़ी हो सकती है।
महायुति का चुनावी प्रदर्शन और बढ़ती लोकप्रियता
रुझानों के अनुसार, महायुति को अब तक शानदार बढ़त मिलती नजर आ रही है। BJP ने 149 सीटों पर, एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने 81 सीटों पर और अजित पवार के नेतृत्व वाली NCP ने 59 सीटों पर चुनाव लड़ा था। वहीं, महाविकास अघाड़ी ने कांग्रेस के नेतृत्व में 101, शिवसेना (UBT) ने 95 और शरद पवार की NCP ने 86 सीटों पर चुनाव लड़ा था। रुझानों से यह भी साफ हो रहा है कि महायुति के प्रत्याशियों ने राज्य की जनता से जो समर्थन प्राप्त किया है, वह राज्य की राजनीति में एक नया अध्याय खोलने का संकेत दे रहा है। एकनाथ शिंदे की नेतृत्व वाली शिवसेना ने अपना प्रभाव मजबूत किया है और भाजपा का समर्थन बढ़ता हुआ दिख रहा है।